Bihar Teacher News: राज्य सरकार ने शिक्षकों के हित में एक नई स्थानांतरण नीति जारी की है। सरकार का दावा है कि इस नीति से लगभग 5 लाख शिक्षकों को लाभ मिलेगा। इस नीति के तहत गंभीर बीमारी, मानसिक समस्या से ग्रसित शिक्षकों, अविवाहित महिलाओं और विधवाओं को स्थानांतरण में प्राथमिकता दी जाएगी। शिक्षक ऑनलाइन आवेदन करके अपनी पसंद के 10 स्थानों का चयन कर सकते हैं।
हालांकि सरकार इस नीति को शिक्षकों के लिए दीपावली का तोहफा बता रही है, लेकिन शिक्षकों के एक बड़े वर्ग में इस नीति को लेकर उत्साह की कमी देखी जा रही है। कई शिक्षक इस नीति के कुछ प्रावधानों से असंतुष्ट हैं और सवाल उठा रहे हैं कि सरकार की इस पहल से शिक्षकों का वास्तविक हित कैसे होगा?
शिक्षकों के स्थानांतरण की नई नीति एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन इसे और अधिक प्रभावी बनाने के लिए सरकार को शिक्षकों की आवाज सुननी होगी और उनकी चिंताओं का समाधान करना होगा।
बिहार सरकार द्वारा जारी नई शिक्षक स्थानांतरण नीति ने राज्य के शिक्षकों और शिक्षक संघों के बीच हलचल मचा दी है। नीति के अनुसार, शिक्षकों का अंतर जिला और अंतर प्रमंडल स्थानांतरण शिक्षा विभाग द्वारा किया जाएगा, जबकि जिला के अंदर डीएम और कमिश्नर तबादला करेंगे। हालांकि, शिक्षक संघों का मानना है कि यह नीति शिक्षकों के हितों के खिलाफ है और इससे शिक्षा व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।"
बिहार सरकार द्वारा जारी नई शिक्षक स्थानांतरण नीति को लेकर शिक्षक संगठनों ने गंभीर आपत्ति जताई है। इस नीति के अनुसार, शिक्षकों का अंतर जिला और अंतर प्रमंडल स्थानांतरण शिक्षा विभाग करेगा, जबकि जिला के अंदर डीएम और कमिश्नर तबादले करेंगे। हालांकि, शिक्षकों को अपने गृह या ससुराल के पंचायत में पोस्टिंग नहीं मिलेगी और पुरुष शिक्षकों की पोस्टिंग गृह अनुमंडल में भी नहीं होगी।
अखिल भारतीय शैक्षिक संघ के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव शैलेंद्र कुमार शर्मा ने इस नीति को त्रुटिपूर्ण बताते हुए कहा कि यह शिक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाएगी और शिक्षकों के परिवारों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि इस नीति के तहत मनमाने ढंग से स्थानांतरण किए जा सकते हैं और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा।
शिक्षक संघ बिहार के प्रदेश अध्यक्ष केशव कुमार ने भी इस नीति का विरोध करते हुए कहा कि हर पांच साल में स्कूल बदलने की बाध्यता शिक्षकों और उनके परिवारों के लिए काफी परेशानी भरी होगी। उन्होंने सरकार से इस अनिवार्य स्थानांतरण के नियम पर पुनर्विचार करने की मांग की है। हर पांच साल में अनिवार्य स्थानांतरण से शिक्षकों और उनके परिवारों को परेशानी होगी।इस नीति के तहत भ्रष्टाचार बढ़ने की आशंका है और शिक्षकों को मनमाने ढंग से स्थानांतरित किया जा सकता है।बार-बार स्थानांतरण से शिक्षा व्यवस्था प्रभावित होगी और शिक्षकों को स्थानीय समुदाय से जुड़ने में मुश्किल होगी।शिक्षक संघों ने सरकार से मांग की है कि इस नीति पर पुनर्विचार किया जाए और शिक्षकों की इच्छा के अनुसार स्थानांतरण की प्रक्रिया अपनाई जाए। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर सरकार उनकी मांग नहीं मानती है तो वे आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे।