CENSUS 2025: वर्ष 2025 में होने वाली देशव्यापी जनगणना की तैयारी बिहार में जोरों पर है। राज्य में डिजिटल प्रगणक ब्लॉक (ईबी) बनाने का काम तेजी से चल रहा है। जनगणना कार्यालय के अधिकारियों के मुताबिक, शहरी क्षेत्रों में तेजी से विस्तार के कारण ईबी की संख्या में वृद्धि हुई है।
शहरी क्षेत्रों में ईबी की संख्या में वृद्धि
शहरी क्षेत्रों में डिजिटल मैपिंग के जरिए ईबी बनाने का काम लगभग 85 प्रतिशत पूरा हो चुका है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी पंचायत स्तरीय वार्डों में ईबी गठन का काम तेजी से चल रहा है। एक बार डिजिटल मैपिंग के जरिए ब्लॉक का गठन होने के बाद स्थल निरीक्षण किया जाएगा ताकि किसी तरह की गड़बड़ी की संभावना न रहे।
जनगणना में 5 लाख कर्मी लगेंगे
राज्य में होने वाली जनगणना में लगभग 5 लाख कर्मचारी लगाए जाएंगे। जनगणना निदेशक एम रामचंद्रुडु ने बताया कि जनगणना की पूर्व तैयारी तेजी से चल रही है ताकि केंद्र सरकार की ओर से तारीख घोषित होते ही बिहार में ससमय कार्य निष्पादित किया जा सके।
एक गणना ब्लॉक में 100 से 150 घर होंगे शामिल
इस बार जनगणना कागज और डिजिटल दोनों माध्यम से होगी। 2035 में होने वाली जनगणना पूरी तरह डिजिटल फॉर्मेट में होगी। वर्ष 2011 की जनगणना को आधार मानकर ईबी का गठन किया जा रहा है। एक गणना ब्लॉक में 100 से 150 घरों को शामिल किया जाएगा। कोविड-19 महामारी के कारण 2021 में जनगणना नहीं हो पाई थी।
जनगणना का महत्व
जनगणना से हमें राज्य की जनसंख्या, लिंग अनुपात, साक्षरता दर, धर्म, जाति आदि के बारे में जानकारी मिलती है। यह जानकारी सरकार को नीतियां बनाने में मदद करती है। देश में पहली बार 1872 में जनगणना हुई थी। 1881 से 2011 तक प्रत्येक 10 साल पर जनगणना होती रही। 2021 में जनगणना होनी थी। लेकिन, कोविड के कारण नहीं हुई।
बिहार की स्थिति
बिहार में नीतीश सरकार के द्वारा कराए गए जाति आधारित गणना के मुताबिक प्रदेश की जनसंख्या 13.07 करोड़ है। इसमें करीब 5 लाख कर्मियों को लगाया गया था। जनगणना में महिला-पुरुष, युवा-बच्चे की जानकारी मिलने के साथ आर्थिक स्थिति की जानकारी मिलेगी। जनगणना के लिए डिजिटल मैपिंग के बाद स्थल निरीक्षण किया जाएगा। जनगणना में लगे कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। केंद्र सरकार द्वारा तय की गई तारीख पर जनगणना का आयोजन किया जाएगा।