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Bihar Teacher Salary: बिहार के इन शिक्षकों की सैलरी पर संकट, शिक्षा विभाग ने इस वजह से उठाया बड़ा कदम

बिहार के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के वेतन भुगतान को लेकर हाल ही में हुए बदलावों ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में हलचल मचा दी है। शिक्षा विभाग द्वारा लागू किए गए नए नियमों के अनुसार, जिन शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्ति का अनुमोदन शिक्षा विभाग से

Bihar Teacher Salary: बिहार के इन शिक्षकों की सैलरी पर संकट, शिक्षा विभाग ने इस वजह से उठाया बड़ा कदम

बिहार के विश्वविद्यालयों और अंगीभूत कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के लिए बड़ा झटका है। राज्य के शिक्षा विभाग ने कड़ा रुख अपनाते हुए उन सभी शिक्षकों और कर्मचारियों का वेतन रोकने का आदेश जारी किया है, जिनकी नियुक्ति का विधिवत अनुमोदन शिक्षा विभाग से नहीं लिया गया है। इसके अलावा, जिन कर्मचारियों का डेटा पे-रोल मैनेजमेंट पोर्टल पर अपलोड नहीं किया गया है, उनका वेतन भी अब जारी नहीं किया जाएगा। यह नया नियम अक्टूबर महीने के वेतन भुगतान से ही प्रभावी होगा, जिससे सैकड़ों शिक्षक और कर्मचारी प्रभावित हो सकते हैं।

शिक्षा विभाग के सचिव बैद्यनाथ यादव की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया। इस बैठक में उच्च शिक्षा निदेशक रेखा कुमारी, उप निदेशक दीपक कुमार, और जिवेश कुमार समेत सभी पंद्रह विश्वविद्यालयों के कुल सचिव और वित्त पदाधिकारी मौजूद थे। बैठक का मुख्य उद्देश्य विश्वविद्यालयों में पारदर्शिता लाना और अनियमितताओं पर नियंत्रण करना था। सचिव यादव ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस फैसले से उन कर्मचारियों की पहचान की जाएगी, जिनकी नियुक्ति प्रक्रिया नियमों के अनुसार पूरी नहीं हुई है।

बैठक में एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया कि 2005 के बाद नियुक्त हुए शिक्षकों को तब तक वेतन नहीं दिया जाएगा जब तक उनका प्राण (पर्मानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर) नहीं खुल जाता। शिक्षा विभाग ने चेतावनी दी है कि अगर विश्वविद्यालय अपने कर्मचारियों की पूरी जानकारी पे-रोल पोर्टल पर अपलोड नहीं करेंगे, तो संबंधित कर्मचारियों का वेतन तुरंत प्रभाव से रोका जाएगा।

इसके अलावा, शिक्षा विभाग ने यह भी साफ किया कि जिन विश्वविद्यालयों ने उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिया है, उनसे वित्तीय सहायता में कटौती की जाएगी। इस फैसले से विश्वविद्यालयों में पारदर्शिता आने की उम्मीद है, जबकि यह कदम कर्मचारियों के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। शिक्षा विभाग के इस फैसले के बाद कई शिक्षक संगठनों ने चिंता जताई है, जबकि विभाग का कहना है कि यह फैसला शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने और भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए आवश्यक है

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