हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष मास का आगमन हो चुका है और यह मास आमतौर पर दिसंबर और जनवरी के बीच आता है। इस माह में कई प्रमुख तीज-त्योहार और व्रत आते हैं, जो धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण होते हैं। पौष मास में सूर्य पूजा, दान-पुण्य, और भगवान विष्णु की भक्ति की विशेष परंपराएं हैं। आइए जानते हैं इस महीने के प्रमुख व्रत, तीज-त्योहार और परंपराएं।
गणेश चतुर्थी व्रत (18 दिसंबर)
गणेश चतुर्थी व्रत का आयोजन 18 दिसंबर, बुधवार को होगा। इस दिन भगवान गणेश के निमित्त व्रत किया जाता है। भक्त इस दिन निराहार रहते हैं, गणेश जी की विशेष पूजा करते हैं, भगवान की कथाएं पढ़ते और सुनते हैं, और शाम को चंद्र दर्शन के बाद चंद्र पूजा और गणेश पूजा करते हुए व्रत का समापन करते हैं।
सफला एकादशी (26 दिसंबर)
पौष मास की पहली एकादशी, सफला एकादशी 26 दिसंबर को मनाई जाएगी। यह व्रत भगवान विष्णु के निमित्त किया जाता है। इस दिन व्रत और पूजा-पाठ करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन "ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है।
सोमवती अमावस्या (30 दिसंबर)
पौष मास की अमावस्या 30 दिसंबर को होगी, जो सोमवती अमावस्या के नाम से जानी जाती है। इस दिन पितरों के लिए विशेष पूजा, धूप-दीप और ध्यान किया जाता है। साथ ही, भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। शिवलिंग पर जल, दूध और पंचामृत चढ़ाना चाहिए और चंदन का लेप करके धूप-दीप जलाकर आरती करनी चाहिए।
विनायकी चतुर्थी व्रत (3 जनवरी 2025)
विनायकी चतुर्थी व्रत 3 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा। यह व्रत भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इस दिन गणेश जी का विशेष पूजन किया जाता है और उन्हें दूर्वा और मोदक चढ़ाए जाते हैं। "ऊँ गं गणपतयै नम:" मंत्र का जाप करना लाभकारी माना जाता है।
पुत्रदा एकादशी (10 जनवरी)
पौष मास की दूसरी एकादशी, पुत्रदा एकादशी 10 जनवरी को होगी। यह व्रत संतान सुख की प्राप्ति के लिए किया जाता है। माना जाता है कि इस व्रत से संतान से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं और संतान को सुख प्राप्त होता है।
पौष पूर्णिमा (13 जनवरी) और मकर संक्रांति (14 जनवरी)
पौष मास की पूर्णिमा 13 जनवरी को होगी और मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन सत्यनारायण की कथा पढ़ने और सुनने की परंपरा है। साथ ही, गंगा, यमुना, नर्मदा, शिप्रा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। इस दिन दान-पुण्य करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
पौष मास में रोज के शुभ काम
सूर्य देव की पूजा:
पौष मास में रोज सुबह जल्दी उठकर सूर्य देव को जल चढ़ाकर पूजा करनी चाहिए। यह दिनभर ऊर्जा और शुभ फल देने वाला होता है।
दान-पुण्य:
इस माह में तिल, गुड़, चावल और गर्म वस्त्रों का दान करना चाहिए। यह कार्य पुण्य और सुख की प्राप्ति करता है।
भगवान विष्णु की भक्ति:
पौष मास में भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की भक्ति की परंपरा है। इस समय में "ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करना चाहिए और भगवान की कथाएं पढ़नी चाहिए।