Muzaffarpur News: विधानसभा चुनाव से पहले मुजफ्फरपुर में हलचल तेज! साहेबगंज में अविश्वास प्रस्ताव से नगर निकाय गरमाई राजनीति
Muzaffarpur News: साहेबगंज नगर परिषद में मुख्य और उप मुख्य पार्षद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। यह घटनाक्रम मुजफ्फरपुर समेत बिहार के कई निकायों में राजनीतिक हलचल ला सकता है।

Muzaffarpur News: बिहार के मुजफ्फरपुर साहेबगंज नगर परिषद में मुख्य पार्षद कलावती देवी और उप मुख्य पार्षद मो. अलाउद्दीन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने के बाद पूरे मुजफ्फरपुर जिले के नगर निकायों में राजनीतिक उबाल देखने को मिल रहा है। 03 जून को पेश हुआ यह प्रस्ताव, जहां एक ओर साहेबगंज की स्थानीय राजनीति को गरमा रहा है, वहीं दूसरी ओर अन्य नगर निकायों में असंतुष्ट पार्षदों को भी एकजुट कर रहा है।
साहेबगंज अविश्वास प्रस्ताव की टाइमलाइन
साहेबगंज के कार्यपालक पदाधिकारी रणधीर लाल के अनुसार, पूरा घटनाक्रम इस प्रकार है:
तिथि घटनाक्रम
03 जून 2025 पार्षदों द्वारा मुख्य व उप मुख्य पार्षद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया
03–10 जून 2025 मुख्य पार्षद को 7 दिनों में बैठक बुलाने का अधिकार (नियमानुसार)
10 जून के बाद यदि बैठक नहीं होती, तो कार्यपालक पदाधिकारी खुद 72 घंटे में बैठक बुला सकते हैं
इस प्रक्रिया के दौरान विभागीय स्तर पर विधिक मार्गदर्शन भी लिया जाएगा ताकि कार्यवाही पूरी तरह से संवैधानिक और सटीक हो।
क्या कहता है संशोधित नगर पालिका एक्ट?
2022 के प्रत्यक्ष नगर निकाय चुनावों के बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि अविश्वास प्रस्तावों की राजनीति समाप्त हो जाएगी। परंतु संशोधित नगर पालिका अधिनियम के तहत अब भी विधानिक रूप से पार्षदों को यह अधिकार है कि वे अगर बहुमत में हों, तो मुख्य और उप मुख्य पार्षद को पद से हटाने का प्रस्ताव ला सकते हैं।यह स्थिति न केवल स्थानीय प्रशासनिक ढांचे में अस्थिरता लाती है, बल्कि नगर परिषदों में राजनीतिक ध्रुवीकरण को भी बढ़ावा देती है।
प्रस्ताव पारित होने पर क्या होगा?
अगर प्रस्ताव पारित हो जाएगा तो मुख्य और उप मुख्य पार्षद को पद छोड़ना होगा।बाकी के कार्यकाल के लिए पुनः चुनाव कराए जाएंगे। यह चुनाव पार्षदों द्वारा नहीं, बल्कि सीधे जनता की तरफ से होगा।चुनाव आयोग तिथि घोषित करेगा और प्रक्रिया को संपन्न कराएगा।यह मॉडल राजनीतिक जवाबदेही बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है।
मुजफ्फरपुर के अन्य निकायों में असर
इस घटनाक्रम ने मुजफ्फरपुर नगर निगम, नगर परिषद और नगर पंचायतों के उन पार्षदों को सक्रिय कर दिया है, जो अपने-अपने निकाय प्रमुखों से नाखुश हैं। अब वे भी आंतरिक रूप से लामबंद हो रहे हैं ताकि जरूरत पड़ने पर वे भी इसी तरह का अविश्वास प्रस्ताव ला सकें।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, कुछ नगर निकायों में पहले से ही गुटबंदी और नेतृत्व पर असंतोष की स्थिति बनी हुई थी, और साहेबगंज की घटना ने इसे आग में घी की तरह हवा दे दी है।अगर साहेबगंज में अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है और मुख्य व उप मुख्य पार्षद अपनी कुर्सी गंवा देते हैं, तो शेष कार्यकाल के लिए फिर से चुनाव होंगे. हालांकि, इस बार चुनाव पार्षदों द्वारा नहीं, बल्कि सीधे जनता द्वारा कराये जायेंगे. चुनाव आयोग द्वारा तिथि घोषित होने के बाद जनता ही मुख्य एवं उप मुख्य पार्षद का चुनाव करेगी.