Bihar Health:उर्मिला हॉस्पिटल पर गलत इलाज का आरोप, जदयू नेता राकेश सिन्हा की असमय मौत ने उठाए गंभीर सवाल

Bihar Health: बिहार के स्वास्थ्य तंत्र पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। जदयू के जिला प्रवक्ता राकेश कुमार सिन्हा की असमय मौत के बाद परिजनों ने मुजफ्फरपुर के उर्मिला हार्ट हॉस्पिटल पर गंभीर आरोप लगाए हैं।...

Urmila Hospital
जदयू नेता राकेश सिन्हा की असमय मौत ने उठाए गंभीर सवाल- फोटो : reporter

Bihar Health: बिहार के स्वास्थ्य तंत्र पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। जदयू के जिला प्रवक्ता और पूर्व पार्षद राकेश कुमार सिन्हा की असमय मौत के बाद परिजनों ने मुजफ्फरपुर के उर्मिला हार्ट हॉस्पिटल पर गलत इलाज, लापरवाही और भय का वातावरण बना कर भ्रमित इलाज देने के गंभीर आरोप लगाए हैं।

सिन्हा के पुत्र अनुनय कुमार ने अपने पिता के फेसबुक प्रोफाइल से एक भावुक और विस्तृत पोस्ट लिखते हुए अस्पताल प्रशासन पर आरोप लगाया कि "अगर सही इलाज समय पर मिल जाता, तो आज पापा हमारे साथ होते।"

क्या था मामला?

5 मई की रात: राकेश सिन्हा को सीने में दर्द हुआ। उन्हें तत्काल उर्मिला हॉस्पिटल ले जाया गया।

बिना पुष्टि किए डॉक्टर ने कहा कि उन्हें सीवियर हार्ट अटैक हुआ है और 1% बचने की संभावना है। महंगा इलाज और ICU में भर्ती शुरू कर दिया गया।

अनुनय ने कई बार एंजियोग्राफी की मांग की, लेकिन डॉक्टर टालते रहे।

7 मई की रात: मरीज को कमर में तेज दर्द और फिर पैरों में सुन्नता हुई। ICU स्टाफ ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।

न्यूरोलॉजिस्ट को दिखाने में देरी हुई। Spinal Infarct की स्थिति में 4 घंटे के अंदर इलाज जरूरी होता है, लेकिन बहुमूल्य समय गंवा दिया गया।

PGI लखनऊ की रिपोर्ट ने खोली पोल

PGI और IGIMS के डॉक्टरों ने साफ कहा कि कभी हार्ट अटैक हुआ ही नहीं था। ECG और ECHO सामान्य थे।हार्ट ट्रीटमेंट बंद कर spinal इंफार्क्ट की पुष्टि की गई, जिसका इलाज समय पर नहीं होने से हालत बिगड़ती चली गई।

क्या यह सिर्फ लापरवाही थी या एक संगठित धोखा?”

अनुनय कुमार ने फेसबुक पर भावुक पोस्ट में लिखा है कि “मैं यह पोस्ट भारी मन और डूबते दिल से लिख रहा हूँ... हमने पापा को नहीं खोया, उन्हें एक लापरवाह मेडिकल सिस्टम ने छीन लिया। क्या ये सिर्फ लापरवाही थी? या एक व्यवस्थित धोखा?”

 राजनीतिक हलकों में भी हलचल

राकेश सिन्हा की मृत्यु से सत्ताधारी दल जेडीयू के भीतर भी असंतोष की आवाजें उठने लगी हैं। अब सवाल यह उठता है कि जब एक सत्तारूढ़ दल का नेता भी सिस्टम की बलि चढ़ सकता है, तो आम जनता किस भरोसे इलाज कराए?

अब क्या होगा?

अनुनय ने पोस्ट के अंत में लोगों से यह सवाल पूछा है कि “मैं आपसे पूछना चाहता हूँ, अब मुझे क्या करना चाहिए?”

बहरहाल यह सवाल सिर्फ एक बेटे का नहीं, बल्कि हजारों बिहारवासियों का है, जो एक अविश्वसनीय, डर और धन के इर्दगिर्द घूमते हेल्थ सिस्टम में रोज फंसते हैं।बात यहां केवल सिस्टम या एक निजी अस्पताल की नहीं है— यह सवाल पूरे जिले की स्वास्थ्य निगरानी व्यवस्था पर है, क्योंकि मुजफ्फरपुर के सांसद डॉ. राजभूषण निषाद स्वयं एक पेशेवर डॉक्टर हैं, और वर्षों से इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

इसके बावजूद उनके ही क्षेत्र में एक प्रमुख अस्पताल में ऐसी घोर चिकित्सा लापरवाही, और उसमें सत्ताधारी दल के वरिष्ठ नेता की मृत्यु यह सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की असंवेदनशीलता और जवाबदेही की पोल खोलने वाली मिसाल बन चुकी है।

रिपोर्ट- रितिक कुमार