पहले लिट्टी सेंकी, फिर बनाई चाय... शिक्षा विभाग के एसीएस एस. सिद्धार्थ ने स्कूल निरीक्षण के बाद किया सबका दिल जीतने वाला काम
काम के साथ ही निजी जीवन में भी खास अंदाज में मिसाल पेश करने वाले ACS एस. सिद्धार्थ ने रविवार को जब एक दुकान पर पहले लिट्टी सेंकी, फिर बनाई चाय तो उनका परिचय जानकर हर कोई अचम्भित रह गया.

S. Siddharth: शिक्षा विभाग के एसीएस एस. सिद्धार्थ हमेशा ही अपने अलग अंदाज के लिए जाने जाते हैं. खासकर आईएएस अधिकारी होने और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खास अफसरों में शुमार होने के बाद भी उनकी सादगी और आम आदमी वाला जीवन जीने का अंदाज उन्हें सबसे अलग बनाता है. इसी क्रम में एस सिद्धार्थ ने एक बार फिर से राह चलते कुछ ऐसा किया जिसने सबका दिल जीत लिया. एस.सिद्धार्थ रविवार को नवादा में स्कूल के निरीक्षण को पहुंचे थे. वहां से लौटने के बाद उन्होंने बख्तियारपुर में आम आदमी वाले जीवन को जीने की नजीर पेश की.
दरअसल, बख्तियारपुर में एस. सिद्धार्थ एक लिट्टी-चाय बेचने वाले झोपडी में पहंचे. वहां उन्होंने बिना अपना विशेष परिचय दिए दुकान पर लिट्टी सेंकी. फिर उबलती चाय को भी बनाया. उनकी सहजता और आम लोगों के साथ जुड़ाव का यह अनोखा तरीका न सिर्फ दुकानदार बल्कि आम लोगों को भी हैरान कर गया. हालांकि जब लोगों ने जाना कि उनके बीच लिट्टी सेंकने और चाय बनाने वाले शख्स बिहार के शीर्ष आईएएस अधिकरियों में एक एस. सिद्धार्थ हैं तो स्थानीय लोगों ने उनकी इस अनोखी कार्यशैली की सराहना की.
सादगी और आम आदमी सी पहचान
इसके पहले भी एस सिद्धार्थ कई मौकों पर कभी सड़क किनारे सब्जी बेचने वाले से सब्जी खरीदते तो कभी रिक्शा पर सफर करते दिखे. वहीं फुटपाथ पर नाई से दाढ़ी बनवाते भी सिद्धार्थ नजर आए थे. साइकिल और मोटर साइकिल चलाकर पटना की सडकों पर चलने का उनका अंदाज भी निराला रहा है. इतना ही नहीं सिद्धार्थ ऐसे अधिकारी रहे हैं जो हवाई जहाज भी उड़ाते हैं.
ट्रेन से पहुंचे एस. सिद्धार्थ
एस सिद्धार्थ की पहचान साधारण लोगों की तरह जीवन जीने वाले शख्स की भी रही है. आम आदमी वाले अंदाज में ही एस सिद्धार्थ ने पिछले साल 4 जून को स्कूल में छापेमारी की तो हर कोई अचंभित हो गया. एस सिद्धार्थ ने दानापुर से एक ट्रेन में सफर कर बिहिया तक की यात्रा की. इस दौरान वे ट्रेन के स्लीपर कोच में आम यात्रियों की तरह भीड़ में खड़े दिखे. वहीं स्टेशन से बाहर निकलते ही उन्हें स्कूली बच्चियां सड़क पर मिल गई तो उनसे ही स्कूल का पता पूछने लगे. इसके पहले भी कई मौकों पर उन्होंने सादगी की मिसाल पेश की.
अमन की रिपोर्ट