Air India Plane: एअर इंडिया हादसे के बाद पटना एयरपोर्ट की सुरक्षा और विस्तार प्रक्रिया तेज, ड्रीमलाइनर की लैंडिंग होगी संभव

Air India Plane: एअर इंडिया विमान हादसे के बाद पटना एयरपोर्ट के रनवे विस्तार की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। जानें ड्रीमलाइनर जैसे बड़े विमानों की लैंडिंग की तैयारी और डीजीसीए के नए सुरक्षा निर्देश।

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Air India Plane: अहमदाबाद में एअर इंडिया विमान हादसे ने एक बार फिर भारत के मध्यम आकार के हवाई अड्डों की क्षमता और सुरक्षा उपायों पर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।इसी क्रम में पटना एयरपोर्ट — जो देश के सबसे व्यस्त और चुनौतीपूर्ण एयरपोर्ट्स में से एक है — का रनवे विस्तार कार्य अब प्राथमिकता पर रखा गया है।

पटना एयरपोर्ट के रनवे की मौजूदा लंबाई 6,792 फीट है। इस वजह से यहां बोइंग 737 और एयरबस 320 से बड़े विमानों की सुरक्षित लैंडिंग संभव नहीं है। इस वजह से इमरजेंसी लैंडिंग के लिए वाराणसी और गया एयरपोर्ट विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, रनवे विस्तार के बाद पटना में बोइंग 787 ड्रीमलाइनर जैसे बड़े विमान भी उतर सकेंगे।

पैरलल टैक्सी ट्रैक (PTT) और जमीन सर्वेक्षण

पैरलल टैक्सी ट्रैक (PTT) का निर्माण पहले ही तेज़ी से चल रहा है, जो विमानों की टर्नअराउंड टाइम को कम करेगा। इसके लिए जमीन सर्वे और संरेखण काम शुरू हो चुका है। स्थानीय प्रशासन, एयरपोर्ट अथॉरिटी और रक्षा मंत्रालय के बीच समन्वय बनाया जा रहा है।PTT कार्य पूरा होते ही रनवे विस्तार की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी।

विमानों की गहन जांच और DGCA की सख्ती

नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने एअर इंडिया समेत सभी एयरलाइनों को आदेश जारी किया है कि किसी भी विमान को तभी उड़ान की अनुमति मिलेगी जब उसकी समुचित गहन जांच हो चुकी हो।”नए दिशा-निर्देशों के तहत बेस एयरपोर्ट पर पूर्व उड़ान जांच अनिवार्य कर दिया गया है। 7 घंटे की उड़ान के लिए सभी पैरामीटर पर संतुष्टि जरूरी है। चेकलिस्ट पर अभियंताओं की हस्ताक्षरित पुष्टि अनिवार्य है।

ग्राउंडिंग टाइम और निरीक्षण में क्यों लगता है 45 मिनट?

पटना एयरपोर्ट पर एक विमान के लैंडिंग से टेकऑफ तक का समय लगभग 45 मिनट होता है, जिसे ग्राउंडिंग टाइम कहा जाता है।इस दौरान फ्यूल लेवल, लैंडिंग गियर की स्थिति, केबल और फ्लैप (विंग्स के नियंत्रण उपकरण) वाइपर और कॉकपिट पैनल्स की जांच की जाती है। अगर इन उपकरणों में कोई तकनीकी खराबी मिलती है, तो विमान को ऑपरेशन से बाहर रखा जाता है। इसके बाद बेस एयरपोर्ट से अभियंता टीम बुलाई जाती है

टेक्निकल टीम बैकबोन ऑफ एयर सेफ्टी

हर शिफ्ट में औसतन 35 अभियंताओं और तकनीशियनों की टीम काम करती है, जिसमें मैकेनिकल इंजीनियर,इलेक्ट्रिकल इंजीनियर,एवियोनिक्स तकनीशियन शामिल होते हैं। इनका काम है लैंडिंग के तुरंत बाद जांच करना है। टेकऑफ से पहले अंतिम पुष्टि और सभी डेटा को DGCA पोर्टल पर डिजिटल रूप से रिकॉर्ड करना होता।