Bihar Assembly Election 2025: बिहार में युवाओं को केंद्र में रखकर बिछाई जा रही है राजनीति की बिसात! शिवदीप लांडे की एंट्री से बढ़ी सियासी सरगर्मी, जानें कैसे प्रशांत किशोर को दे सकते हैं टक्कर?
बिहार चुनाव 2025 में नई राजनीतिक हलचल देखने को मिल रही है। पूर्व आईपीएस शिवदीप लांडे और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की सीधी टक्कर देखने को मिलेगी। जानिए युवाओं के वोट को लेकर किसकी रणनीति ज्यादा मजबूत है।

Bihar assembly election 2025: 2025 के बिहार विधानसभा चुनावों की चर्चा अभी से ज़ोरों पर है। इस बार सिर्फ पारंपरिक दल ही नहीं, बल्कि नए चेहरे और युवाओं को केंद्र में रखकर राजनीति की बिसात बिछाई जा रही है। जहां एक ओर तेजस्वी यादव, चिराग पासवान, राहुल गांधी जैसे नेता पहले से ही सक्रिय हैं, वहीं अब प्रशांत किशोर और शिवदीप लांडे जैसे नए चेहरे युवा राजनीति को नई दिशा देने के लिए तैयार खड़े हैं।
प्रशांत किशोर, जो कई राज्यों में चुनावी रणनीति बना चुके हैं। अब जनसुराज के माध्यम से बिहार की सियासत को नए नजरिए से देखने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं शिवदीप लांडे, जो कभी अपने सख्त और लोकप्रिय पुलिसिंग के लिए जाने जाते थे, अब "हिंद सेना" नामक नई राजनीतिक पार्टी के साथ मैदान में हैं।
शिवदीप लांडे की धमाकेदार एंट्री: 'हिंद सेना' का आगाज़
पूर्व आईपीएस अफसर शिवदीप लांडे ने राजनीति में उतरकर सबको चौंका दिया है। उन्होंने अपनी पार्टी का नाम "हिंद सेना" रखा है और पार्टी का निशान त्रिपुंड घोषित किया है – जो न सिर्फ धार्मिक भावनाओं से जुड़ा है बल्कि एक सांस्कृतिक प्रतीक भी है।
पार्टी की प्रमुख बातें
सभी 243 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है। युवाओं के मुद्दों को प्राथमिकता देने पर जोर। भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, शिक्षा और सुरक्षा जैसे विषयों पर फोकस रखने की सोच। सोशल मीडिया पर पहले से ही मजबूत फॉलोइंग। शिवदीप लांडे का कहना है कि वो राजनीति में इसलिए आए हैं ताकि युवाओं को व्यवस्था से जोड़ सकें और बिहार को नए सिरे से निर्माण की ओर ले जा सकें।
प्रशांत किशोर बनाम शिवदीप लांडे: नई राजनीति की दो धाराएं
बिहार चुनाव 2025 में एक दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा – प्रशांत किशोर बनाम शिवदीप लांडे। दोनों ही गैर-पारंपरिक राजनेता हैं, और दोनों का फोकस है – बिहार का युवा वोटर।
पहलू प्रशांत किशोर शिवदीप लांडे
राजनीतिक संगठन जनसुराज हिंद सेना
बैकग्राउंड चुनावी रणनीतिकार पूर्व IPS
रणनीति जमीनी संवाद, जनसभा, मुद्दा आधारित राजनीति सामाजिक अनुशासन, राष्ट्रीयता, युवा ऊर्जा
फोकस शिक्षा, स्वास्थ्य, शासन प्रणाली में सुधार भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, समाजिक न्याय
दोनों नेता वर्तमान में जनता के बीच अपनी पकड़ बनाने के लिए यात्रा और संवाद कार्यक्रम चला रहे हैं। प्रशांत किशोर जहां गहराई से ग्रामीण बिहार में पैर फैलाने में लगे हैं, वहीं लांडे सोशल मीडिया पर सक्रिय युवाओं को लक्षित कर रहे हैं।
युवाओं का वोट बैंक: हर पार्टी की पहली पसंद
बिहार का एक बड़ा वोटिंग ब्लॉक 18 से 35 वर्ष के युवाओं का है, और यही कारण है कि सभी राजनीतिक पार्टियां युवाओं के मुद्दे – बेरोजगारी, शिक्षा, स्टार्टअप, कानून-व्यवस्था – को अपनी प्राथमिकता बना रही हैं।राजद और तेजस्वी यादव लगातार युवाओं की आवाज बनकर उभरे हैं।एनडीए (भाजपा+जदयू) अपने योजनाओं को गिनाकर युवाओं को साधने की कोशिश में है।कांग्रेस और लोजपा भी सोशल मीडिया और कैंपेनिंग के जरिए युवाओं तक पहुंचना चाहती हैं।अब जब शिवदीप लांडे और प्रशांत किशोर जैसे प्रभावशाली नए चेहरे सामने हैं, युवाओं की वोटबैंक की लड़ाई और भी तेज हो चुकी है।
किसकी बढ़ेगी चिंता? किसको मिलेगा फायदा?
शिवदीप लांडे की राजनीति में एंट्री ने राजद, कांग्रेस, एनडीए सभी की चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि उनके पास जमीन पर पुलिस कार्यकाल से बनी साख और यूथ आइकन का दर्जा। शिवदीप लांडे की छवि साफ़-सुथरी मानी जाती है। दूसरी तरफ, प्रशांत किशोर की पकड़ गहरी और रणनीतिक है। अगर वे वास्तविक ग्राउंड सपोर्ट बना पाने में सफल होते हैं, तो महागठबंधन और एनडीए दोनों को ही नुकसान हो सकता है।