CM Nitish: वर्ष 2005 के नवंबर माह में बिहार की राजनीति ने करवट ली और इंजीनियर नीतीश कुमार ने बिहार की बागडोर संभाली। मुख्यमंत्री बनते ही नीतीश कुमार ने शिक्षा सहित अन्य क्षेत्रों में अपनी दूरदर्शी सोच से कई बदलाव किए और जनोपयोगी योजनाएं चलाकर बिहार को प्रगति के पथ पर अग्रसर किया। मुख्यमंत्री ने अपने कार्यकाल के दौरान बिहार में साक्षरता दर बढ़ाने के लिए सबसे पहले आधी आबादी की शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने का निर्णय लिया और वर्ष 2006 में सरकारी स्कूल में पढ़नेवाली लड़कियों के लिए ‘मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना’ की शुरुआत की। इस योजना के तहत सरकारी स्कूलों में नौवीं कक्षा में पढ़नेवाली लड़कियों को साइकिल उपलब्ध करवाई गई।
सीएम नीतीश बालिका साइकिल योजना
‘मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना’ के अंतर्गत कक्षा 9वीं में शिक्षा प्राप्त कर रही छात्राओं को साइकिल खरीदने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। गांव में परिवहन की समस्या को देखते हुए और ग्रामीण क्षेत्र की छात्राओं को स्कूल आने-जाने में कोई परेशानी न हो, इसको लेकर ही इस योजना की शुरुआत की गई। साइकिल उपलब्ध हो जाने से कम वक्त में सहूलियत के साथ छात्राएं विद्यालय पहुंचने लगीं और उनमें शिक्षा के प्रति जागरुकता भी आई। अब तक लाखों छात्राएं इस योजना का लाभ उठा चुकी हैं। ‘मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना’ का ग्रामीण स्कूली शिक्षा पर बहुत बड़ा और सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
वर्तमान में मिल रहा 3 हजार रुपए
वर्ष 2007 में नौवीं में पढ़नेवाली 1 लाख 63 हजार छात्राओं को साइकिल खरीदने के लिए राशि दी गई थी। दो साल बाद वर्ष 2009 में स्कूलों में नामांकन दर में वृद्धि होने से नौवीं में पढ़नेवाले छात्रों को भी इस योजना का लाभ दिया जाने लगा। राज्य के हाईस्कूलों में पढ़नेवाले सभी तबकों के छात्र-छात्राओं को मुख्यमंत्री साइकिल योजना की राशि दी जाने लगी। शुरुआत में साइकिल खरीदने के लिए 2 हजार रुपये की राशि दी जाती थी। स्कूलों में कैंप लगाकर राशि बांटी जाती थी। कालांतर में इस व्यवस्था में सुधार करते हुए विद्यार्थियों के बैंक खाते में राशि भेजी जाने लगी। यह राशि खाते में डी0बी0टी0 के जरिए भेजी जाती है। धीरे-धीरे यह राशि 2 हजार से बढ़ाकर 2500 रुपये कर दी गई। इसके बाद वर्तमान में यह राशि 2500 से बढ़ाकर 3 हजार रुपये कर दी गई है।
सरकारी स्कूलों में बढ़ी छात्राओं की संख्या
राज्य सरकार ने साइकिल योजना को बड़ी सामाजिक क्रांति के रूप में देखा। यह योजना नारी सशक्तीकरण की दिशा में भी काफी कारगर रही। मुख्यमंत्री बालक-बालिका साइकिल योजना की वजह से स्कूलों में छात्र-छात्राओं का अनुपात 54:46 का हो गया। बिहार सरकार की इस योजना के क्रियान्वयन के बाद सरकारी स्कूलों में नामांकन करने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या बढ़ी है। इस योजना का लाभ यह हुआ है कि बिहार की बेटियों के स्कूल जाने की संख्या बढ़ी है और वह समाज में अपनी पहचान बनाने में सफल हो रही हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस योजना की चर्चा करते हुए कहा कि साइकिल से लड़कियां न सिर्फ स्कूल जा रही हैं बल्कि शाम के वक्त अपने माता-पिता को साइकिल पर बैठाकर बाजार भी ले जाती हैं। यह दृश्य देखने में काफी अच्छा लगता है।
देश विदेश में हो रही चर्चा
‘मुख्यमंत्री बालक-बालिका साइकिल योजना’ इतनी सफल हुई कि इसकी चर्चा न सिर्फ बिहार में बल्कि देश के दूसरे राज्यों और विदेशों में भी होने लगी। इस योजना को जानने-समझने के लिए देश और देश के बाहर से कई लोग बिहार आए। मुख्यमंत्री साइकिल योजना को अफ्रीकी देश भी अपना रहे हैं और इसकी चर्चा यू0एन0 में भी हो रही है। ‘मुख्यमंत्री बालक-बालिका साइकिल योजना’ को लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शोध हो रहा है। मुख्यमंत्री साइकिल योजना से बेटियों का समाज में सशक्तीकरण हुआ है जिसका नतीजा है कि आज बड़ी तादाद में बेटियां स्कूल जा रही हैं और शिक्षा हासिल कर रही हैं। आधी आबादी में शिक्षा के प्रति जागरुकता बढ़ी है।