Patna News: तुम्हें सस्पेंड करवा दूंगी!'पटना में वाहन चेकिंग पर आगबबूला हुईं कांग्रेस विधायक, ऑन ड्यूटी दारोगा को सुना दीं खरी खोटी

Patna News: वाहनों की रूटीन चेकिंग की जा रही थी। इसी दौरान कांग्रेस विधायिका प्रतिमा दास की गाड़ी को भी जांच के लिए रोका गया । इससे मैडम भड़क गईं और...

Congress MLA got furious over vehicle checking
"तुम्हें सस्पेंड करवा दूंगी!'- फोटो : reporter

Patna News: बिहार की राजधानी पटना से एक चौंकाने वाला वीडियो सामने आया है, जिसमें कांग्रेस की राजापाकर सीट से विधायिका प्रतिमा दास और अगमकुआं थाना क्षेत्र के एक सब इंस्पेक्टर के बीच तीखी बहस देखी जा सकती है। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और अब कानून-व्यवस्था और जनप्रतिनिधियों के आचरण को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।

घटना मंगलवार शाम की बताई जा रही है जब अगमकुआं थाना क्षेत्र के धानकी मोड़ के पास वाहनों की रूटीन चेकिंग की जा रही थी। इसी दौरान कांग्रेस विधायिका प्रतिमा दास की गाड़ी वहां से गुजर रही थी। ड्यूटी पर तैनात सब इंस्पेक्टर विधान चंद्र ने अन्य वाहनों की तरह उनकी गाड़ी को भी जांच के लिए रोका।वीडियो की पुष्टि न्यूज4नेशन नहीं करता है।

इसी पर विधायिका भड़क उठीं और वाहन में बैठकर ही दो पुलिसकर्मियों को जमकर फटकार लगाई। वायरल वीडियो में प्रतिमा दास यह कहते हुए सुनाई देती हैं कि "क्यों बोला तुम झंडा-फंडा? तुमको कांग्रेस का लोगो नहीं दिख रहा है?तुम लोगों का नाटक, ड्रामा ठीक कर देंगे। बुखार झाड़ देंगे, सारा दिमाग ठंडा कर देंगे।चुप!  यह शब्द वह सब इंस्पेक्टर को डांटते हुए कहती हैं।

सब इंस्पेक्टर विधान चंद्र ने बताया कि वे नियमित वाहन चेकिंग ड्यूटी पर थे और किसी भी वाहन को रोका जाना सामान्य प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि हमने विधायिका की गाड़ी को भी उसी प्रक्रिया के तहत रोका, लेकिन वे नाराज़ हो गईं।

इस घटना पर बीजेपी के बिहार प्रदेश प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि ऑन ड्यूटी पुलिस अधिकारी को धमकाना अत्यंत निंदनीय है। कानून का सम्मान सभी को करना चाहिए, चाहे वह आम नागरिक हो या जनप्रतिनिधि।

मामले को लेकर प्रतिमा दास से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन कई बार कॉल करने के बावजूद उन्होंने फोन नहीं उठाया। इससे अब और भी सवाल उठने लगे हैं।

सवाल यह है कि क्या जनप्रतिनिधि होने का मतलब है कि वे कानून से ऊपर हैं?क्या वाहन चेकिंग जैसे नियमित सुरक्षा अभ्यास में अपवाद बनाए जाने चाहिए?क्या लोकतंत्र में शक्ति का यह प्रदर्शन स्वीकार्य है?