PATNA - पटना हाईकोर्ट ने राज्य के जेलों में अपने मां के साथ बंद एक से छह वर्ष के बच्चों को शिक्षित करने के मामलें में राज्य सरकार व बालसा को अगली सुनवाई में कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। एक्टिंग चीफ जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने संतोष उपाध्याय की जनहित याचिका पर सुनवाई की।कोर्ट ने जेल में डॉक्टर के रिक्त पदों को भरने के मामलें पर भी स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इन बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था करने के लिए कार्रवाई करने का आदेश जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव को दिया था। कोर्ट ने पूर्व की सुनवाई में राज्य सरकार को स्थिति स्पष्ट करते हुए जवाब देने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने शिक्षा विभाग के डीईओ को हर संभव सहयोग करने का का निर्देश दिया था। कोर्ट ने राज्य के विभिन्न जेलों में अपने माँ के साथ एक से छह वर्ष के बीच बंद 103 बालक एवं 125 बालिकाओ को शिक्षित करने के कार्रवाई पर जोर दिया था।
इसके पूर्व कोर्ट को अधिवक्ता विकास पंकज ने बताया था कि राज्य के जेलों में 50682 पुरूष और 2350 महिला विचाराधीन बंद हैं,जबकि 6995 पुरुष और 212 महिला सजायफ्ता बन्द है। कोर्ट को बताया गया था कि सबसे ज्यादा भागलपुर महिला मंडल कारा और नवादा मंडल कारा में 16-16, कटिहार मंडल कारा में 14, गया केंद्रीय कारा में 13, बेतिया मंडल कारा में 10, बेऊर आदर्श केंद्रीय कारा में 9, मुज़फ्फरपुर, पूर्णिया केंद्रीय कारा व सिवान,आरा,सीतामढ़ी, जहानाबाद मंडल कारा में 8-8, दरभंगा मंडल कारा में 7 नाबालिग बच्चें अपनी अपनी माताओं के साथ बंद हैं।
साथ ही ये भी जानकारी दी गयी कि पूरे प्रदेश के जेलों में इस प्रकार कुल 103 बच्चे व 125 बच्चियां बंद है।कोर्ट ने कुल 228 नाबालिग को शिक्षित करने के लिए कार्रवाई करने का आदेश दिया था। इस मामले पर अगली सुनवाई अप्रैल,2025 में होगी।