Illicit relationship:अवैध संबंधों से टूट रही शादियाँ, बिहार महिला आयोग में धोखे और एक्स्ट्रा-मैरिटल मामलों की बाढ़, कारण क्या

Illicit relationship: बिहार में बदलते सामाजिक ढांचे, मोबाइल-सोशल मीडिया और मानसिक दूरी के कारण वैवाहिक रिश्तों में दरारें बढ़ रही हैं।

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अवैध संबंधों से टूट रही शादियाँ,- फोटो : Meta

Illicit relationship: बिहार में पारिवारिक जिंदगी का एक नया और चिंताजनक चेहरा सामने आ रहा है। महिलाएं शादी के 20–25 साल बाद अचानक जान पाती हैं कि उनके पति पिछले कई सालों से किसी और महिला के साथ चोरी-छिपे प्रेम प्रसंग में लिप्त हैं। यह खुलासा उनके जीवन को झकझोर देता है। भावनात्मक सदमा, घर की इज़्ज़त, बच्चों की चिंता सब एक साथ टूटते हैं, और ऐसे में महिलाएं अब बड़ी संख्या में बिहार राज्य महिला आयोग का दरवाज़ा खटखटा रही हैं।

आयोग के मुताबिक, हर दिन 10–12 नए मामले दर्ज हो रहे हैं, जिनमें से 4–5 केस सिर्फ पति के अवैध संबंध, धोखे और एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर से जुड़े होते हैं। कई केस ऐसे हैं जिनमें 25 साल पुरानी शादी का रिश्ता अचानक दरक रहा है। शहरी महिलाओं के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों से भी महिलाएं लगातार आकर अपनी व्यथा सुना रही हैं।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जब आयोग काउंसिलिंग के लिए पति को बुलाता है, तो कई पुरुष आने से साफ मना कर देते हैं। कुछ को कई नोटिस भेजे जाते हैं, पर वे टाल-मटोल करते रहते हैं, जैसे मामला कोई मज़ाक हो। ऐसे मामलों में आयोग को स्थानीय पुलिस की मदद लेनी पड़ रही है ताकि पुरुष पक्ष अनिवार्य रूप से काउंसिलिंग में उपस्थित हो और मामले की गांठ खोली जा सके।

महिला आयोग के अधिकारियों का कहना है कि रिश्ता टूटने का यह सिलसिला कोई अचानक की घटना नहीं, बल्कि वर्षों से पनप रही चुप्पी, दूरी और धोखे का नतीजा है। कई महिलाओं को तब जाकर सच्चाई का पता चलता है जब पति की मोबाइल चैट, कॉल रिकॉर्ड या किसी परिचित की जानकारी से राज़ खुलता है। जो महिलाएं सालों तक घर और परिवार के लिए अपनी जिंदगी समर्पित करती हैं, उनके लिए यह विश्वासघात असहनीय बन जाता है।

अनेक मामलों में महिलाएं अपने पति के गलत रास्ते से लौट आने की उम्मीद लेकर आयोग पहुंच रही हैं, ताकि काउंसिलिंग के बाद रिश्ते में सुधार की कोई गुंजाइश बच सके। वहीं, कुछ महिलाएं कानूनी कार्रवाई की ओर भी कदम बढ़ा रही हैं।

स्पष्ट है कि बिहार में बदलते सामाजिक ढांचे, मोबाइल-सोशल मीडिया और मानसिक दूरी के कारण वैवाहिक रिश्तों में दरारें बढ़ रही हैं। 20–25 साल बाद टूटा भरोसा सबसे गहरा घाव देता है और महिला आयोग अब इन टूटे रिश्तों की मरहमगिरी के केंद्र में खड़ा है।