Bihar Politics: तेजस्वी यादव ने सुबह सुबह गृह मंत्री अमित शाह को लिखा पत्र, कर दी बड़ी मांग, जानिए क्या है पूरा मामला

Bihar Politics: नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सुबह सुबह गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है। पत्र के माध्यम से तेजस्वी यादव ने गृह मंत्री से बड़ी मांग भी की है। आइए जानते हैं पूरा मामला क्या है।

तेजस्वी यादव अमित शाह
तेजस्वी ने अमित शाह को लिखा पत्र - फोटो : social media

Bihar Politics: नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है। पत्र के माध्यम से तेजस्वी ने देश की सुरक्षा में सेना (थलसेना, नौसेना, वायुसेवा) और अर्धसैनिक बलों (CRPF, BSF, ITBP, CISF, SSB, Assam Rifles) जो देश के लिए अपने प्राणों को निछावर कर देते हैं उनको लेकर बड़ी मांग की है। दरअसल, भारत पाकिस्तान तनाव के बीच बिहार के 4 जवान शहीद हो गए। शहीदों को पार्थिव शरीर पटना लाया गया तो पक्ष विपक्ष के नेताओं ने आखिरी सलामी दी। इस दौरान तेजस्वी यादव ने कहा था कि वो गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर ये मांग करेंगे कि शहीदों के सम्मान में भेदभाव खत्म किया जाए। तेजस्वी ने अमित शाह को पत्र लेकर अपनी मांग को उनतक पहुंचाई है साथ ही उन्होंने अपना सुक्षाव भी दिया है। तेजस्वी ने कहा है कि अर्द्धसैनिक बलों को सेना के बराबर दर्जा मिले।

तेजस्वी ने लिखा पत्र

तेजस्वी यादव ने अपने सोशल मीडिया पर ट्विट कर गृह मंत्री अमित शाह को लिखा गया पत्र शेयर किया है। उन्होंने कहा कि,"मातृभूमि की रक्षा एवं देश की एकता व अखंडता की खातिर अपना सर्वस्व बलिदान करने वाले अर्धसैनिक बलों के वीर जवानों को शहीद का दर्जा देने तथा उनसे संबंधित अन्य चिरलंबित मांगों को लेकर गृहमंत्री, भारत सरकार को पत्र लिखा है"। पत्र के माध्यम से तेजस्वी ने कई सुक्षाव भी सरकार को दिया है।

अमित शाह से की बड़ी मांग 

तेजस्वी यादव ने पत्र में अमित शाह को लिखा है कि, "मैं(तेजस्वी यादव) आपका(गृह मंत्री अमित शाह) ध्यान एक अत्यंत महत्वपूर्ण और संवेदनशील विषय की ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ। हमारे देश की सुरक्षा में सेना (थलसेना, नौसेना, वायुसेवा) और अर्धसैनिक बलों (CRPF, BSF, ITBP, CISF, SSB, Assam Rifles) आदि सभी देश की एकता, अखंडता एवं सम्प्रभुता के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देते हैं। परंतु यह दुःखद एवं विचारणीय है कि मातृभूमि के लिए बलिदान देने वाले शहीदों को शहादत उपरान्त मिलने वाले सम्मान, मुआवजा, सुविधाओं तथा अन्य लाभों में स्पष्ट भेदभाव है। जहां एक ओर हमारे पराक्रमी भारतीय सेना के वीर शहीदों को राज्य और केन्द्र सरकारों की ओर से मुआवजा, सम्मान और परिवार को आर्थिक सहायता एवं सामाजिक सुरक्षा मिलती है"।

गृह मंत्री को तेजस्वी की सुक्षाव

उन्होंने आगे लिखा कि "वहीं अर्द्धसैनिक बलों के शहीदों एवं उनके परिवारों को अपेक्षित सम्मान, सहायता एवं भविष्य की सुरक्षा नहीं मिल पाते. जिसके वे भी समान रूप से हकदार हैं। अर्द्धसैनिक बलों के मनोबल को बरकरार रखने एवं ऊँचा उठाने हेतु इस भेदभाव को समाप्त करना अत्यंत आवश्यक है। अर्द्धसैनिक बलों के तरफ से भी कई दशकों से इनकी मांग लंबित है। आपसे मेरा विनम्र सुझाव एवं मांग है कि:- 

1.अर्द्धसैनिक बलों के शहीदों को भी "battle Casualty" घोषित किया जाए जिससे उन्हें एवं उन परिवारों को समान सम्मान, लाभ एवं मुआवजा मिल सके।

2. सरकारी नौकरी पैशन एवं अन्य सरकारी सुविधाओं में सेना एवं अर्द्धसैनिक बलों के शहीदों परिजनों में अनुरुपता हो।

3.National War Memorial में अर्द्धसैनिक बलों के भी नाम दर्ज किए जाएं।

4. अर्द्धसैनिक बलों के शहीदों के परिजनों के लिए Liberalised Pension Scheme स्वतः लागू हो।

5. केन्द्रीय Ex-Gratia एवं राज्य सरकारों द्वारा दिए जानेवाले प्रतिपूर्ति में समानता हो।

6. नक्सलवाद आतकवाद निरोधी कार्रवाई बुद्ध अथवा युद्ध जैसी स्थिति में गम्भीर रूप से घायल या दिव्यांगत के बाद सैनिक/अर्द्धसैनिक बलों को सेवानिवृति दी जाती है। युद्धजनित जख्मों की वजह से कालान्तर में मृत्यु हो जाने पर इन्हें भी शहीद का दर्जा एवं सभी लाभ दिया जाए।

7. समान परिस्थितियों में काम करने वाले सैनिक एवं अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को 'वन रैंक वन पैशन' का लाभ दिया जाय।  

शहीदों को मिले बराबरी का दर्जा 

तेजस्वी ने आगे लिखा कि, आपसे आग्रह है कि इन मांगों, सुझावों का संज्ञान लेते हुए सेना और अर्द्धसैनिक बलों के आंतरिक सुरक्षा, नक्सलवाद, आंतक निरोधी कार्रवाई, युद्ध एवं युद्ध जैसी स्थिति के दौरान घायल अथवा शहीद होने पर इन बलों के जवानों एवं परिवारों के साथ भेदभाव समाप्त करते हुए उचित सम्मान एवं अधिकार दिलाने की कृपा करेंगे। बता दें कि इस मांग अर्द्धसैनिक बलों के परिवार की ओर से लगातार किया जा रहा है। वहीं इस मामले में विशेषज्ञों का मानना है कि समान परिस्थितियों में कार्य करने वाले सभी सुरक्षाबलों को समान दर्जा और सम्मान मिलना चाहिए। यह केवल नीति का नहीं, बल्कि न्याय और मानवता का विषय है।