PATNA : फरवरी माह के अंत तक बिहार के सभी मौजों में तेरीज लेखन का काम पूर्ण कर लिया जाएगा। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने सभी प्रमंडलों के नोडल पदाधिकारियों की बैठक में भूमि सर्वे के काम की प्रगति की समीक्षा की है और उन्हें निदेशालय के निर्णय से जिलों के बंदोबस्त पदाधिकारियों को अवगत कराने का निदेश दिया है। शास्त्रीनगर स्थित सर्वे प्रशिक्षण संस्थान में हुई कल की समीक्षा बैठक में जानकारी दी गई कि दूसरे चरण के 18 जिलों के जिन 26786 मौजों में भूमि सर्वे का काम शुरू किया गया है। उनमें से 70 फीसदी से अधिक मौजों में तेरीज लेखन का काम पूर्ण कर लिया गया है। शेष मौजों में इस माह के आखिर तक यह काम पूरा कर लिया जाएगा।
अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह के निदेशानुसार फरवरी माह के अंत से किस्तवार का काम शुरू किया जाना है। किस्तवार शुरू करने से पहले हरेक अमीन को उनको आवंटित मौजों का तैरीज लेखन का काम पूर्ण किया जाना है। इसी के मद्देनजर यह कवायद की जा रही है। अरवल एवं शेखपुरा जिलों में पहले चरण में ही भूमि सर्वे का काम पूरी तरह आच्छादित है। शिवहर और लखीसराय जिलों में सौ फीसदी तेरीज लेखन का काम पूरा किया जा चुका है। बाकि पहले चरण के जिन 130 अंचलों में तेरीज लेखन का काम चल रहा है उनमें बाकि किशनगंज और नालंदा जिले में 94 फीसदी, मुंगेर में 93 फीसदी, बांका में 89 फीसदी और कटिहार में 80 फीसदी मौजों का तेरीज लेखन का काम पूरा किया जा चुका है। शेष में भी कार्य प्रगति पर है। जिन जिलों में तेरीज लेखन का काम धीमी गति से चल रहा है उनमें सबसे अधिक मौजे वाले जिले गया, मधुबनी और सीवान शामिल हैं। गया में उन गांवों की संख्या 2820 है जहां भूमि सर्वे का काम चल रहा है। यह संख्या बिहार में किसी भी जिले में गांवों की सर्वाधिक है। इन जिलों में कार्य की गति तेज करने का निदेश दिया है। सभी प्रमंडलों का सर्वर अलग-अलग होने के कार्य में प्रगति होने के साथ ही तेरीज लेखन के काम में भी प्रगति अपेक्षित है। तेरीज लेखन का काम पूर्ण होने के बाद त्रि-सीमाना निर्धारण और ग्राम सीमा सत्यापन का काम किया जाएगा। त्रि-सीमाना निर्धारण में हरेक गांव का दूसरे गांवों से मिलती-जुलती सीमा का निर्धारण किया जाता है। यह काम पास के गांवों में स्थित मुस्तकिल की पहचान और उनकी माप के आधार पर किया जाता है। त्रि-सीमाना निर्धारण के बाद गांव की पूरी सीमा का निर्धारण किया जाता है।
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री डॉ दिलीप कुमार जायसवाल ने कहा कि तेरीज खतियान का सार होता है जो सर्वे के काम में लगे अमीनों के लिए बहुत ही उपयोगी दस्तावेज होता है। तेरीज का निर्माण भी सर्वे कार्य में लगे अमीनों के द्वारा ही किया जाता है। तेरीज लेखन पिछले सर्वे के आधार पर तैयार खतियान से किया जाता है। पिछले सर्वे का खतियान जिला अभिलेखागारों में सुरक्षित रखा गया है। इसकी ऑनलाइन प्रति भी उपलब्ध है जिसे भू अभिलेख पोर्टल पर देखा जा सकता है। अपर मुख्य सचिव के निदेशानुसार प्रपत्र-5 का विस्तार किया गया है, इसमें कई नए कॉलम जोड़े गए हैं जिनका इस्तेमाल खानापुरी और अधिकार अभिलेख बनाने के काम में किया जाएगा। खानापुरी के दौरान अमीन को उसके मोबाइल में उसके गांव के हरेक रैयत और उसके हरेक प्लॉट की संपूर्ण जानकारी उपलब्ध रहेगी। इसके आधार पर उन्हें रैयत का अधिकार अभिलेख या खतियान बनाने के काम में सहूलियत होगी।