Anant Singh : यह दरबार है छोटे सरकार का. यहां रंग जमा है जनता के प्यार का. जी हाँ, हम बात कर रहे अनंत सिंह यानी मोकामा के पूर्व विधायक की. जो कभी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सिक्कों से तौल देते हैं तो कही पटना की सड़कों पर बग्घी बैठकर राजसी अंदाज में चलते हैं.
और छोटे सरकार को तो गीत-संगीत से भी उतना ही प्यार है. तो छोटे सरकार का वही अंदाज एक बार से उनके गांव नदवा में दिखा जब एक सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान अनंत सिंह अपने पुराने रंग में दिखे. गांव के मैदान में भी अपने हजारों लोगों के साथ जमीन पर ही दरबार से सजा कर बैठे अनंत सिंह. और सामने मंच पर छोटे सरकार के दरबार की वाहवाही में ठुमका लगाती हसीनाएं जब कहती – प्रखंड हो या जिला भुमिहारे से हिला- तो छोटे सरकार का मूंछों पर तांव देने वाला अंदाज देख हर कोई वाह-वाह कहता ...
ओर महफिल का मजा तो तब बढ़ गया जब मंच पर 52 गज के लहंगा पहनकर बवाल मचा रही हसीनाओं ने नौलखा हार की डिमांड कर दी. ‘मुझे नौलखा मंगा दे रे ओ सैयां दीवाने... तुझे मैं तुझे मैं... तुझे गले से लगा लूँगी, ओ सैयां दीवाने ...’ इस गाने पर तो छोटे सरकार ने भी अमिताभ बच्चन वाले स्टाइल में ही झूमना शुरू कर दिया. अनंत सिंह का यह अंदाज देखकर हजारों की भीड़ छोटे सरकार का जयजयकार करने लगी.
मौसिकी और शबाब के जलवे से जगमग शाम में जब हुस्नपरियों ने ‘52 बीघा के जमींदार रंगहये भूमिहार राजा जी’ गाया तो छोटे सरकार भी भुमिहारी अंदाज में ताव देते नजर आए.
और गीत-संगीत का सजी शाम का जलवा तो तब शिखर पर पहुंच गया जब छोटे सरकार के सामने आकर गाया गया- ‘ बड़ा दुःख दीना तेरे लखन ने बड़ा दुःख दी ना..’ फिर क्या था छोटे सरकार तो माथे पर गमछा बांधकर खुद ही खड़े हो गए. वाह वाह करने लगे. वैसे ही जैसे 1990 और 2000 के दशक में वे नाचते गाते थे उसी अंदाज में फिर से दुनिया ने उन्हें देखा ... और उनका यह अंदाज देख सब एक साथ कहते लगे --- सुध बुध बिसराई मेरी नींद चुराई मेरा मुश्किल कर दिया जीना बड़ा दुःख दी ना ....