Saraswati Puja 2025 : हिंदू धर्म और भारतीय पूजा पद्धति में माँ सरस्वती का विषेश स्थान है। सृष्टि के सृजनकर्ता भगवान ब्रम्हा की अर्धांगिनी माता सरस्वती को “विद्या की देवी” के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू मान्यताओं में देवी सरस्वती की आराधना का विशेष महत्व है।
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने माता सरस्वती से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था कि वसंत पंचमी को पूरे विधि – विधान से आपकी आराधना की जाएगी। तभी से “वसंत पंचमी “ अर्थात सरस्वती पूजा का त्योहार पूरे धूम-धाम से मनाया जाता है।
क्या है वसंत पंचमी?
हिंदी पांचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को “वसंत पंचमी” के नाम से जाना जाता है। इसी समय भारत में वसंत ऋतु की शुरूआत भी होती है। वसंत ऋतु सर्दी एवं ग्रीष्म ऋतु के बीच का वह समय है जिसमें प्रकृति अपनी मनोरम छटाओं से आच्छादित रहती है।
हिंदू धर्म में वसंत पंचमी अर्थात सरस्वती पूजा का लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है। कई सारे शुभ कार्यों की शुरूआत इस दिन होती है. विशेषकर शैक्षणिक कार्य या फिर किसी व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के प्रारंभ का यह शुभ समय माना जाता है. चाहे वो बच्चों के पठन- पाठन की पहली शुरूआत से हो, चाहे किसी और मांगलिक कार्यों का प्रारंभ करना. ऐसे सारे कार्यों की शुरूआत सरस्वती पूजा की विशेष आराधना के साथ हीं की जाती है।
कब है सरस्वती पूजा
ऐसे में सवाल यह उठता है कि इस बार की “वसंत पंचमी” अर्थात सरस्वती पूजा कब है? इस बार माघ शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि की शुरूआत 2 फरवरी, 2025 को सुबह 9 बजकर 14 मिनट से शुरू हो रही है जिसका समापन 3 फरवरी को सुबह 6 बजकर 52 मिनट पर होगा। ऐसे में तिथि के अनुसार वसंत पंचमी 2 फरवरी को मनाई जाएगी। ज्योतिषों की मानें तो इस बार माता की आराधना का शुभ मुहुर्त सुबह 7 बजकर 9 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 35 मिनट तक है। इस शुभ मुहुर्त में माता सरस्वती की पूजा – अर्चना करने से जातकों को विशेष फल की प्राप्ति होगी.
अभिषेक सुमन की रिपोर्ट