इमरजेंसी फंड नहीं बनाया? एक अनदेखी, जो बना सकती है पूरी फाइनेंशियल लाइफ को बर्बाद!

हर महीने सैलरी आती है, EMI कटती है, खर्च पूरे होते हैं और जिंदगी पटरी पर चलती रहती है। लेकिन अगर कल कोई मेडिकल इमरजेंसी आ जाए? नौकरी चली जाए? या अचानक कोई बड़ा खर्च सामने आ जाए? ऐसे हालात में अगर आपने इमरजेंसी फंड नहीं बनाया, तो आपकी पूरी फाइनेंशियल प्लानिंग एक झटके में धराशायी हो सकती है।
क्या है इमरजेंसी फंड का ‘6X नियम’?
वित्तीय विशेषज्ञों के अनुसार, हर व्यक्ति के पास कम से कम अपने मासिक खर्च का 6 गुना इमरजेंसी फंड होना चाहिए। यानी अगर आपका मासिक खर्च ₹50,000 है, तो कम से कम ₹3 लाख आपके बैंक या लिक्विड इन्वेस्टमेंट अकाउंट में ‘जुड़े रहने’ चाहिए। यह पैसा किसी निवेश के लिए नहीं होता — यह होता है ‘सिर्फ और सिर्फ जरूरत के वक्त’ के लिए।
क्यों जरूरी है इमरजेंसी फंड?
- नौकरी छूटने की स्थिति में राहत देता है
- मेडिकल इमरजेंसी में तत्काल खर्च के लिए मदद करता है
- आपके निवेश को बिना तोड़े बचाता है
- मानसिक शांति देता है, क्योंकि “जोखिम” से आप पहले ही निपट चुके होते हैं
इमरजेंसी नहीं बताकर आती – पर असर गहरा छोड़ जाती है
महामारी के समय लाखों लोगों की नौकरी गई, इलाज के लिए कर्ज लेने पड़े। तब एक बात सबसे साफ दिखी — जिसके पास इमरजेंसी फंड था, वही स्थिर रहा। बाकियों को अपने गोल्ड बेचने पड़े, बच्चों की शिक्षा रोकनी पड़ी या फाइनेंशियल प्लानिंग दोबारा शुरू करनी पड़ी।
सिर्फ कमाई और निवेश से वित्तीय सफलता नहीं मिलती — बचाव का प्लान होना भी जरूरी है। इमरजेंसी फंड बनाना उस दीवार की तरह है जो अचानक आने वाले तूफान को आप तक पहुंचने से रोकता है।
तो अब सवाल आपसे है — क्या आप सिर्फ आज के लिए जी रहे हैं, या भविष्य की भी तैयारी कर रहे हैं? याद रखिए, बिना इमरजेंसी फंड के कोई भी इन्वेस्टमेंट अधूरा है। शुरुआत आज से करें, कल का भरोसा किसे है!