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जानिए कौन है अनिल अंबानी की रिलायंस कैपिटल का नया खरीददार

रिलायंस कैपिटल जैसी बड़ी कंपनी का हिंदूजा ग्रुप जैसे प्रतिष्ठित कारोबारी घराने के हाथों में जाना वित्तीय सेवा क्षेत्र के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है।

Anil Ambani
Anil Ambani- फोटो : Social Media

भारत के सबसे बड़े कारोबारी घरानों में से एक अनिल अंबानी की रिलायंस कैपिटल आखिरकार बिकने के करीब पहुंच गई है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हिंदूजा ग्रुप की कंपनी इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड (IIHL) इस वित्तीय सेवा कंपनी को 98.6 अरब रुपये (लगभग 1.1 अरब डॉलर) में खरीदने के लिए तैयार है। सूत्रों का कहना है कि यह सौदा जल्द ही अंतिम रूप ले सकता है और आधिकारिक घोषणा अगले कुछ दिनों में की जा सकती है।

यह सौदा रिलायंस कैपिटल के लिए एक लंबी और जटिल यात्रा के बाद आया है। कंपनी पर 40,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज होने के कारण यह लंबे समय से संकट में थी, और इसका संचालन भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नियंत्रण में था। इंडसइंड इंटरनेशनल ने इस अधिग्रहण के लिए 9,861 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी, और इस डील का होना अब लगभग तय माना जा रहा है।

RBI का कड़ा कदम और कंपनी की स्थिति

रिलायंस कैपिटल पर भारी कर्ज के कारण RBI ने 30 नवंबर 2021 को इसका बोर्ड भंग कर दिया था और इसके खिलाफ इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग शुरू की थी। RBI ने तब कहा था कि कंपनी अपने कर्ज का भुगतान करने में असमर्थ है और इसके बोर्ड ने कंपनी की गंभीर समस्याओं को सुधारने में नाकाम रहने के कारण नियंत्रण लिया है। RBI ने यह भी आरोप लगाया कि कंपनी के भीतर गड़बड़ियां थीं, जिन्हें ठीक करने में बोर्ड पूरी तरह से विफल रहा था। ऐसे में RBI को कंपनी का संचालन अपने हाथ में लेना पड़ा।

क्या है रिलायंस कैपिटल का कारोबार?

रिलायंस कैपिटल एक बहु-व्यापारिक कंपनी है जिसमें करीब 20 फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनियां शामिल हैं। इनमें सिक्योरिटीज ब्रोकिंग, इंश्योरेंस, और एआरसी (एसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनी) जैसे महत्वपूर्ण व्यवसाय शामिल हैं। यह कंपनी भारत के वित्तीय सेवा क्षेत्र में एक बड़ा नाम है, लेकिन कर्ज के बोझ के कारण यह गंभीर संकट का सामना कर रही थी।

हिंदूजा ग्रुप का इस अधिग्रहण में महत्व

यह सौदा हिंदूजा ग्रुप के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। यदि यह डील पूरी होती है, तो हिंदूजा ग्रुप को रिलायंस कैपिटल के विभिन्न वित्तीय कारोबारों में रणनीतिक लाभ मिल सकता है। इंडसइंड इंटरनेशनल द्वारा की जा रही इस खरीदारी से ग्रुप की वित्तीय सेवाओं में विस्तार होगा, और वह भारतीय बाजार में अपनी स्थिति और मजबूत कर सकता है।

हालांकि, इस अधिग्रहण के बारे में इंडसइंड इंटरनेशनल और रिलायंस कैपिटल दोनों ही पक्षों ने कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है। यह सौदा उस समय हो रहा है जब भारतीय वित्तीय क्षेत्र में कई कंपनियां कर्ज के बोझ से जूझ रही हैं, और ऐसे में यह अधिग्रहण बाजार में बड़े बदलाव का संकेत दे सकता है।

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