एनपीएस पेंशनर्स के लिए नए दिशानिर्देश: फायदे या नुकसान?

एनपीएस के पेंशनर्स के लिए नए दिशानिर्देश निश्चित रूप से पेंशन वितरण प्रक्रिया में सुधार की दिशा में एक कदम हो सकते हैं, लेकिन इसके प्रभावों का आकलन समय के साथ ही किया जा सकता है।

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new pension scheme- फोटो : Social Media

देशभर में सरकारी कर्मचारियों के लिए पेंशन योजनाएं हमेशा से एक जटिल मुद्दा रही हैं। अब, केंद्रीय पेंशन लेखा कार्यालय (CPAO) ने 12 मार्च 2025 को एक नया निर्देश जारी किया है, जिससे नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) पेंशनधारकों के लिए समय पर पेंशन वितरण सुनिश्चित करने की कोशिश की जाएगी। लेकिन सवाल यह उठता है कि यह नया कदम पेंशनर्स के लिए लाभकारी होगा या नुकसानदेह?

सीपीएओ का कड़ा संदेश

सीपीएओ ने पेंशन प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों को स्पष्ट रूप से याद दिलाया है कि उन्हें ओल्ड पेंशन सिस्टम (OPS) की प्रक्रिया का ही पालन करना चाहिए, जैसा कि 18 दिसंबर 2023 को पहले निर्देशित किया गया था। हालांकि, यह देखा गया है कि कुछ वेतन और लेखा कार्यालय (PAO) इस प्रक्रिया को ठीक से नहीं अपना रहे हैं, जिससे पेंशन वितरण में अनावश्यक देरी हो रही है।

सीपीएओ के इस नए मेमो के बाद, सभी संबंधित अधिकारियों को सख्ती से नियमों का पालन करने का आदेश दिया गया है। इस आदेश का उद्देश्य पेंशनर्स को समय पर, बिना किसी रुकावट के पेंशन सुनिश्चित करना है। हालांकि, यह आदेश पूरी प्रक्रिया को किस हद तक सुव्यवस्थित करेगा, यह भविष्य के अनुभव पर निर्भर करेगा।

OPS, NPS और UPS: तीन प्रणालियों का तुलनात्मक विश्लेषण

ओल्ड पेंशन सिस्टम (OPS) OPS, जो 2004 से पहले लागू था, पेंशनधारियों को उनके अंतिम मूल वेतन और सेवा के वर्षों के आधार पर निश्चित पेंशन प्रदान करता था। इस योजना में पेंशनभोगियों को हर छह महीने में महंगाई भत्ते का भी लाभ मिलता था। इस प्रणाली में कर्मचारियों का कोई योगदान नहीं था, और रिटायरमेंट के बाद उनके परिवार को भी पेंशन मिलती रहती थी। हालांकि, इसके फायदे स्पष्ट थे, लेकिन इसे वित्तीय दृष्टिकोण से स्थिर रखना चुनौतीपूर्ण था।

नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) 2004 में सरकार ने NPS को लागू किया, जो एक बाजार आधारित योजना है। इस प्रणाली में कर्मचारी नियमित रूप से योगदान करते हैं, और रिटायरमेंट पर उनके द्वारा जुटाए गए फंड का 60% बिना टैक्स के निकाला जा सकता है, जबकि 40% का उपयोग वार्षिकी के लिए किया जाता है। लेकिन इस योजना की सबसे बड़ी खामी यह है कि इसमें पेंशन की गारंटी नहीं है; पेंशन का आकार पूरी तरह से निवेश की स्थिति पर निर्भर करता है।

यूनिवर्सल पेंशन सिस्टम (UPS) 2024 में यूपीएस को पेश किया गया, जिसका उद्देश्य OPS और NPS के बीच का संतुलन स्थापित करना था। UPS में, केंद्र सरकार के कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद एक सुनिश्चित पेंशन मिलती है। इस योजना में कर्मचारियों का योगदान उनके मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 10% होता है, जबकि सरकार 18.5% का योगदान करती है, जो NPS की तुलना में कहीं अधिक है। UPS के तहत, रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को पिछले 12 महीनों के औसत मूल वेतन का 50% पेंशन के रूप में मिलता है, और यदि पेंशनधारी की मृत्यु हो जाती है तो परिवार को उनकी पेंशन का 60% मिलता है।

क्या होगा इससे पेंशनर्स के लिए?

इस नए निर्देश का मुख्य उद्देश्य यह है कि NPS के पेंशनर्स को समय पर पेंशन मिले, ताकि उनके जीवन स्तर पर कोई असर न पड़े। लेकिन कुछ अहम सवाल उठते हैं:

  1. प्रक्रिया की जटिलता: इस नए निर्देश में जब ओपीएस के मानकों को लागू किया जा रहा है, तो क्या यह अतिरिक्त प्रशासनिक बोझ उत्पन्न करेगा? क्या पेंशन वितरण प्रक्रिया पहले से अधिक जटिल हो जाएगी?
  2. समय की पाबंदी: क्या सीपीएओ के नए निर्देशों से देरी की समस्या का समाधान होगा? या फिर यह सिर्फ एक औपचारिकता बनकर रह जाएगा?
  3. कर्मचारी व सरकार का योगदान: UPS और NPS के बीच का अंतर साफ है। अगर UPS में सरकार का योगदान ज्यादा है, तो क्या सरकार NPS में भी योगदान बढ़ाने पर विचार करेगी?

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