छत्तीसगढ़ के छोटे से गांव बिटकुली से निकलकर NIT रायपुर से बीटेक की डिग्री हासिल करने वाले 29 वर्षीय शैलेन्द्र कुमार बांधे ने जीवन के संघर्षों को प्रेरणा में बदल दिया। चपरासी की नौकरी से शुरू हुआ उनका सफर छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) की परीक्षा में 73वीं रैंक हासिल करने तक पहुंचा। आज वे असिस्टेंट कमिश्नर (स्टेट टैक्स) के पद पर हैं।
NIT ग्रेजुएट से चपरासी तक का सफर : शैलेन्द्र ने इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल करने के बावजूद सरकारी सेवा को चुना। आर्थिक तंगी और अपने सपनों को पूरा करने के संघर्ष में उन्होंने मई 2023 में CGPSC कार्यालय में चपरासी की नौकरी ज्वाइन की। इस दौरान उन्हें आलोचनाओं और तानों का सामना करना पड़ा, लेकिन वे अडिग रहे। उनका मानना था, "कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता। हर काम की अपनी गरिमा होती है।"
सपनों को साकार करने का हौसला : शैलेन्द्र ने सिविल सेवा की तैयारी अपने सीनियर हिमाचल साहू से प्रेरित होकर शुरू की, जिन्होंने CGPSC 2015 में टॉप रैंक हासिल की थी। उनके लिए यह राह आसान नहीं थी। उन्हें कई बार असफलता मिली। पहले प्रायस में वो प्रारंभिक परीक्षा में असफल हुए। दूसरे प्रयास में मुख्य परीक्षा में असफल। तीसरे और चौथे प्रयास में इंटरव्यू तक पहुंचे लेकिन चयन नहीं हुआ। पांचवें प्रयास में जनरल कैटेगरी में 73वीं और आरक्षित वर्ग में दूसरी रैंक हासिल की।
परिवार की भूमिका और संघर्ष : शैलेन्द्र के पिता, संतराम बांधे, एक किसान हैं। उन्होंने हर कदम पर बेटे का साथ दिया। शैलेन्द्र की मां और पिता ने आर्थिक तंगी के बावजूद उनके सपनों को प्राथमिकता दी। उनके संघर्ष और धैर्य ने शैलेन्द्र को प्रेरित किया कि वे अपने लक्ष्य को हासिल करें।
निजी नौकरी को ठुकराया, चुना सरकारी सेवा का सपना : NIT रायपुर से पासआउट होने के बाद शैलेन्द्र के पास आकर्षक निजी नौकरियों के ऑफर थे, लेकिन उन्होंने सरकारी सेवा को प्राथमिकता दी। उनका मानना था कि सरकारी नौकरी न केवल स्थिरता देती है, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव का माध्यम बनती है।
प्रेरणा की मिसाल : शैलेन्द्र की कहानी बताती है कि असफलता केवल सफलता का पहला कदम है। उनका संघर्ष यह साबित करता है कि मजबूत इरादे और कड़ी मेहनत से कोई भी सपना साकार किया जा सकता है। यह कहानी उन लाखों युवाओं के लिए एक प्रेरणा है, जो जीवन में बड़ा मुकाम हासिल करना चाहते हैं।