Bihar Crime: साइबर फ्रॉड पर पुलिस का बड़ा एक्शन, 10 करोड़ रुपये फ्रीज, 2 हजार बैंक खाते जांच के घेरे में, खेल खतम, हिसाब दो

Bihar Crime: बिहारमें साइबर ठगी के मामले दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं। इन मामलों में शामिल ठगों के दो हजार से अधिक बैंक खाते अब पुलिस की जांच के घेरे में हैं।

Big action by police on cyber fraud
खेल खतम, हिसाब दो!- फोटो : reporter

Bihar Crime: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में साइबर ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जिससे आम जनता की गाढ़ी कमाई खतरे में पड़ गई है. पुलिस की जांच के दायरे में दो हजार से अधिक बैंक खाते आ गए हैं, और बीते तीन सालों में इन मामलों में करीब 10 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई है. चौंकाने वाली बात यह है कि इन सभी संदिग्ध खातों को फ्रीज (अस्थायी रूप से बंद) कर दिया गया है.

इन साइबर घोटालों के शिकार सैकड़ों लोग अब अपनी मेहनत की कमाई वापस पाने के लिए कोर्ट और बैंक के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें अब तक न्याय नहीं मिल पाया है. जून 2023 से अब तक मुजफ्फरपुर साइबर थाना में 189 साइबर ठगी के केस दर्ज किए गए हैं, जिनमें 1000 से अधिक बैंक खाते संदेह के घेरे में हैं. अन्य थानों में भी 250 से ज्यादा मामलों में 1000 से अधिक खाते फ्रीज किए जा चुके हैं. कुल मिलाकर, 2000 से ज्यादा बैंक खाते अस्थायी रूप से बंद कर दिए गए हैं.

जांच में खुलासा हुआ है कि ठगों ने धोखाधड़ी के लिए फर्जी कंपनियों के नाम पर बैंक अकाउंट (CC अकाउंट्स) खोले हुए हैं. इन खातों में दर्ज पते, दस्तावेज और पहचान सभी फर्जी पाए गए हैं. यह भी सामने आया है कि बैंकों ने बिना सही और पर्याप्त जांच-पड़ताल के ही इन फर्जी कंपनियों के नाम पर खाते खोल दिए थे, जिससे साइबर अपराधियों को अपना जाल फैलाने में मदद मिली. अहियापुर के दिनेश कुमार से हुई 89 लाख रुपये की ठगी भी ऐसे ही खातों में पैसे भेजने से हुई थी.

पीड़ित, जिनमें कांटी के रामदेव राम, माड़ीपुर सर्किट हाउस रोड के प्रो. ज्योति नारायण सिंह, और भगवानपुर की रिटायर प्रोफेसर मीना कुमारी जैसे कई लोग शामिल हैं, बैंक से लेकर कोर्ट तक दौड़ लगा चुके हैं, लेकिन अब तक उनकी ठगी गई राशि वापस नहीं हो पाई है.

मुजफ्फरपुर में साइबर ठगी अब एक बड़ा खतरा बनकर उभरी है. बैंक अकाउंट खोलने में बरती गई लापरवाही, फर्जी कंपनियों के नाम पर खोले गए 'घोस्ट अकाउंट्स', और पीड़ितों को न्याय न मिलना, ये सभी मिलकर यह साबित करते हैं कि साइबर सुरक्षा के साथ-साथ हमारी बैंकिंग व्यवस्था में भी सख्त और तत्काल सुधार की आवश्यकता है. जब तक इन खामियों को दूर नहीं किया जाता, तब तक आम लोग साइबर अपराधियों का शिकार बनते रहेंगे और उनकी मेहनत की कमाई पर डाका पड़ता रहेगा.

रिपोर्ट- मणिभूषण शर्मा