Cyber Crime: बिहार में साइबर धोखाधड़ी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। अपराधी पीड़ित को गिरफ्तार करने का दिखावा करते हैं। वे नकली पुलिस थाने या सरकारी कार्यालय स्थापित करने के साथ-साथ सरकारी वर्दी पहनने के उपाय भी अपनाते हैं। इसे डिजिटल गिरफ्तारी के नाम से जाना जाता है। ऐसा हीं एक मामला नालंदा जिले के हरनौत रेल कारखाना के एक कर्मी के साथ साइबर ठगी का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। हरनौत रेल कोच कारखाना में कार्यरत विकास कुमार को मोबाइल पर कॉल कर खुद को साइबर क्राइम दिल्ली और सीबीआई का अधिकारी बताने वाले ठगों ने डिजिटल अरेस्ट कर 1 लाख 60 हजार रुपए की ठगी की। इतना ही नहीं, बदमाशों ने उसे करीब 5 दिनों तक अपने कब्जे में रखा।
पीड़ित की आपबीती
पीड़ित विकास कुमार भोजपुर जिला के जगदीशपुर थाना क्षेत्र के गणपत टोला निवासी जलाल राम का पुत्र है। वह हरनौत रेल कोच कारखाना के एचआरएस विभाग में सहायक के पद पर कार्यरत है। विकास कुमार ने बताया कि उसके मोबाइल पर किसी अनजान नंबर से व्हाट्सएप कॉल आया और फोन करने वाला व्यक्ति खुद को साइबर क्राइम दिल्ली और सीबीआई बताते हुए कहा कि उसके खिलाफ दिल्ली में केस दर्ज है।
इसके बाद गिरफ्तारी का भय दिखाते हुए उसे डिजिटल अरेस्ट कर लिया गया। ऑनलाइन रहते हुए उसे घर में रहने को कहा गया और बैंक से मामला रफा दफा करने व कोर्ट से जमानत दिलाने के बदले 5 लाख रुपए की मांग की गई। मामला खत्म होने तक उसे किसी से भी न तो बात करने न ही किसी का फोन उठाने की बार-बार धमकी देते हुए कॉल पर रखे रहा।
जब कर्मी ने 5 लाख रुपए देने में असमर्थता जाहिर की तो ठग ने तत्काल 1 लाख 60 हजार देने को कहा, बाद में बाकी रकम भेजवाने को कहा। कर्मी ने उसे ऑनलाइन रुपए भेज दिए। पांच दिनों तक वह बदमाश के चंगुल में फंसा रहा। दो दिनों तक वह ऑफिस भी नहीं गया। 4 फरवरी को उसने अपने एक दोस्त से रुपए मांगा, तब दोस्त ने उसे साइबर ठगों द्वारा डिजिटल अरेस्ट कर ठगी की बात बताई, इसके बाद वह कमरे से बाहर निकला।
जब उसे एहसास हुआ कि वह ठगी का शिकार हुआ है तब वह सिर पीटने लगा। इस संबंध में हरनौत थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। प्रभारी थानाध्यक्ष गणेश कुमार राय ने बताया कि आवेदन मिला है, मामले की जांच की जा रही है।
डिजिटल अरेस्ट क्या है?
डिजिटल अरेस्ट एक नई तरह की साइबर ठगी है, जिसमें ठग लोगों को डरा-धमका कर उनसे पैसे ऐंठते हैं। इस तरह के मामलों में ठग अक्सर पीड़ित को फर्जी केस में फंसाने की धमकी देते हैं और उन्हें डिजिटल अरेस्ट करने का नाटक करते हैं। वे पीड़ित को घर से बाहर न निकलने और किसी से बात न करने की धमकी देते हैं, जिससे पीड़ित डर के मारे उनकी बातों में आ जाता है और ठगी का शिकार हो जाता है।
रिपोर्ट- राज पाण्डेय