नकली शराब फैक्ट्री का भंडाफोड़, ब्रांडेड बोतलों में जहरीला ज़हर पैक कर रहे थे तस्कर

Bihar News: बिहार में शराबबंदी सिर्फ़ क़ानून की किताबों में है, हक़ीक़त यह है कि शराब का कारोबार धड़ल्ले से जारी है। ...

नकली शराब फैक्ट्री का भंडाफोड़, ब्रांडेड बोतलों में जहरीला ज
नकली शराब फैक्ट्री का भंडाफोड़- फोटो : reporter

Bihar News: बिहार में शराबबंदी सिर्फ़ क़ानून की किताबों में है, हक़ीक़त यह है कि शराब का कारोबार धड़ल्ले से जारी है। विपक्ष लगातार यही सवाल उठाता रहा है कि जब राज्य में पूर्ण शराबबंदी है तो शराब आती कहाँ से है? इसका जवाब मुजफ्फरपुर से आई एक बड़ी कार्रवाई ने साफ़ कर दिया है नकली शराब की मिनी फैक्ट्रीयां यहीं चल रही हैं, जहाँ ब्रांडेड कंपनियों की खाली बोतलों में देसी ज़हर भरकर ग्राहकों तक पहुँचाया जा रहा है।

उत्पाद इंस्पेक्टर दीपक कुमार को गुप्त सूचना मिली कि अहियापुर थाना क्षेत्र के बखरी में तस्कर ब्रांडेड कंपनी की बोतलों में नकली शराब पैक कर रहे हैं। छापेमारी के दौरान विभाग की टीम ने जो दृश्य देखा, वह हैरान करने वाला था कमरे में शराब की खाली बोतलें, ब्रांडेड कंपनी के रैपर और नकली शराब बनाने की सामग्री का अंबार लगा था। मौके पर दो युवक बोतलों में नकली शराब भर रहे थे। दोनों को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया और भारी मात्रा में नकली शराब, रैपर और पैकिंग सामग्री ज़ब्त कर ली गई।

यह कोई पहला मामला नहीं है। महज़ दो दिन पूर्व सरैया थाना क्षेत्र से भी उत्पाद विभाग ने एक मिनी फैक्ट्री का पर्दाफ़ाश किया था। वहाँ से शराब बनाने की मशीनें, बोतलें, रैपर और नकली शराब बरामद हुई थी। उस कार्रवाई में तीन तस्करों की गिरफ्तारी भी हुई थी।

बीते महीनों में बिहार के अलग-अलग जिलों में जहरीली शराब पीने से सैकड़ों मौतें हो चुकी हैं। बावजूद इसके न तो शराबबंदी सख़्त हो पाई है और न ही तस्करों के हौसले पस्त हुए हैं। सवाल यह है कि शहरों और गाँवों के बीचो-बीच जब मिनी शराब फैक्ट्रियां धड़ल्ले से चल रही हैं, तो उत्पाद विभाग और स्थानीय प्रशासन को इसकी भनक पहले क्यों नहीं लगती?

उत्पाद इंस्पेक्टर दीपक कुमार का कहना है कि गिरफ्तार दोनों तस्करों से पूछताछ की जा रही है और उनके नेटवर्क तक पहुँचने के लिए लगातार छापेमारी की जा रही है।

असल सवाल यही है कि जब शराबबंदी के नाम पर आम आदमी पर कोड़े बरसाए जाते हैं, तब तस्करों की फ़ैक्ट्रियां प्रशासन की नाक के नीचे कैसे फल-फूल रही हैं? क्या शराबबंदी सिर्फ़ गरीब और मज़दूरों पर क़ानून चलाने का औज़ार है, जबकि असली कारोबारी सत्ता की छाँव में महफ़िलें सजाते हैं?

रिपोर्ट- मणिभूषण शर्मा