Bihar Crime: सीवान में एएसआई की बेरहम कत्ल से सनसनी, क़ानून व्यवस्था पर उठे सवाल, बिहार में फिर अपराध का दरिंदा सच उजागर

Bihar Crime: सीवान में जब वर्दी पहने हुए अफसर महफ़ूज़ नहीं हैं, तो आम आदमी का क्या होगा?दरौंदा की यह वारदात महज़ एक हादसा नहीं, बल्कि सिस्टम की नाकामी का आईना है। ...

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सीवान में एएसआई की बेरहम कत्ल से सनसनी- फोटो : Hiresh Kumar

Bihar Crime:बिहार के सीवान ज़िले में हुई एक खौफ़नाक वारदात ने पूरे पुलिस महकमे को हिला कर रख दिया है। दरौंदा थाना क्षेत्र में तैनात असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर (एएसआई) अनिरुद्ध कुमार की धारदार हथियार से बेरहमी से हत्या कर दी गई। क़ातिलों ने उनकी लाश को सुनसान इलाक़े में फेंक दिया और फ़रार हो गए। यह वाक़या न सिर्फ़ एक पुलिस अधिकारी की मौत की कहानी कहता है बल्कि बिहार की क़ानून-व्यवस्था पर गहरे सवाल खड़े करता है। हर बार अफसरान दावा करते हैं, कुछ दिन बाद मामला ठंडा पड़ जाता है लेकिन नहीं रुकता है तो अपराध का सिलसिला!

मौक़े पर पहुँची पुलिस टीम ने शव को बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। दरौंदा थाना प्रभारी के मुताबिक़, शव की पहचान एएसआई अनिरुद्ध कुमार के रूप में हो चुकी है। फिलहाल पुलिस आस-पास के इलाक़ों में छापेमारी कर रही है और संदिग्धों की तलाश जारी है। प्रशासनिक स्तर पर कई टीमें गठित की गई हैं, और सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं।लेकिन असल सवाल यह है कि  जब वर्दी पहने हुए अफसर महफ़ूज़ नहीं हैं, तो आम आदमी का क्या होगा?

इलाक़े में ग़म और ग़ुस्से का माहौल है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अब अपराधियों के हौसले इस क़दर बुलंद हो चुके हैं कि वे पुलिस पर भी हमला करने से नहीं डरते। लोग खुलेआम कह रहे हैं  “अगर पुलिस ही सुरक्षित नहीं, तो जनता की हिफ़ाज़त कौन करेगा?”

बिहार में पुलिसकर्मियों पर हमले का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कई मौक़ों पर अवैध शराब तस्करों और अपराधियों ने पुलिस पर फायरिंग की है। इसी साल अप्रैल में सहरसा में अपराधियों ने पुलिस टीम पर गोलियाँ बरसाई थीं, जिसमें एक जवान ज़ख़्मी हुआ था।

यह ताज़ा वारदात ऐसे वक़्त में सामने आई है जब बिहार में चुनावी माहौल गर्म है और सरकार दावा कर रही है कि राज्य में “अम्न-ओ-अमान” क़ायम है। मगर हक़ीक़त कुछ और बयाँ कर रही है।

अपराध के आँकड़े बोलते हैं — बिहार में गुनाह का ग्राफ़ ऊपर

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो  के हालिया आँकड़े बिहार की तस्वीर को और भी धुँधला बना देते हैं। साल 2023 में राज्य में कुल 2,862 हत्याओं के मामले दर्ज किए गए। यह संख्या भले ही पिछले साल के मुक़ाबले मामूली तौर पर कम है, लेकिन अपराध का आलम अब भी चिंताजनक है।

आँकड़े बताते हैं कि हर चार में से एक हत्या “निजी दुश्मनी” या “बैर” की वजह से होती है। ज़मीन-जायदाद के विवादों में 500 से ज़्यादा क़त्ल हुए, जबकि पारिवारिक झगड़ों ने 345 लोगों की जान ले ली। आशिक़ी और माली फ़ायदे के मसले भी कई जिंदगियाँ निगल गए।

राजनीतिक या सांप्रदायिक कारणों से हत्याओं की संख्या भले कम रही हो, मगर यह राहत की बात नहीं कही जा सकती। 2023 में बिहार में प्रति लाख आबादी पर अपराध दर 277.5 दर्ज की गई — यानी हर कोने में गुनाह का साया मंडरा रहा है।

क़ानून के रखवाले ही निशाने पर — यह इत्तेफ़ाक़ नहीं, एक इशारा है

दरौंदा की यह वारदात महज़ एक हादसा नहीं, बल्कि सिस्टम की नाकामी का आईना है। एएसआई अनिरुद्ध कुमार सिविल ड्रेस में थे, इसलिए अपराधियों को शायद यह एहसास नहीं था कि वह पुलिसवाले हैं — या शायद उन्हें मालूम था और फिर भी उन्होंने हमला किया। दोनों सूरतों में यह हालात की बदहाली दिखाता है।

सरकार लगातार कह रही है कि “अपराधियों पर नकेल कसी जा रही है”, लेकिन जब पुलिसकर्मी ही क़त्ल किए जाएँ तो इन दावों की हक़ीक़त खुद-ब-खुद सामने आ जाती है। बिहार में पुलिस की मौजूदगी हर नुक्कड़-चौराहे पर है, फिर भी दरिंदगी अपने पैर पसार रही है।

लोगों का एहतिजाज और सख़्त सज़ा की मांग

एएसआई की हत्या के बाद इलाके में लोगों ने सड़कों पर उतरकर गुस्सा ज़ाहिर किया। उन्होंने प्रशासन से माँग की कि दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ़्तार कर फाँसी दी जाए।स्थानीय नेता और सामाजिक संगठन भी इस घटना पर नाराज़गी ज़ाहिर कर रहे हैं। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखा  “जब पुलिसवालों का खून सस्ता हो गया, तो इंसाफ़ का मोल क्या रह गया?”

बहरहाल, सीवान की यह वारदात बिहार के लिए एक ख़ामोश लेकिन तीखा सवाल छोड़ गई है  क्या अब “क़ानून” वाक़ई लाचार हो गया है? और अगर “क़ातिल” वर्दी के रखवालों को भी नहीं छोड़ते, तो फिर इस सूबे में इंसाफ़ की उम्मीद कहाँ बचेगी?