Navratri 2025:आज दुर्गाष्टमी पर करें मां महागौरी की पूजा, जानें महत्व और विधि ,मां की आराधना से जीवन में आती है शांति, समृद्धि और सौभाग्य
Navratri 2025: आश्विन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर देवी महागौरी की आराधना का विशेष विधान है। शारदीय नवरात्रि के आठवें दिवस माता महागौरी की उपासना करने से साधक को शुद्धता, सौम्यता और शांति का वरदान प्राप्त होता है।

Navratri 2025: शारदीय नवरात्र शक्ति और भक्ति का अनुपम पर्व है। यह देवी दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का पर्व है। इस पावन काल में साधक तप, जप और उपवास के माध्यम से आत्मशुद्धि और दिव्यता का अनुभव करते हैं। मंदिरों में घंटों और शंखनाद से वातावरण पवित्र हो उठता है। श्रद्धालु दीप, पुष्प और नैवेद्य अर्पित कर मां से शक्ति, समृद्धि और मंगल की प्रार्थना करते हैं। आश्विन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर देवी महागौरी की आराधना का विशेष विधान है। शारदीय नवरात्रि के आठवें दिवस माता महागौरी की उपासना करने से साधक को शुद्धता, सौम्यता और शांति का वरदान प्राप्त होता है। श्वेताम्बरधरा के रूप में विख्यात महागौरी करुणा, कोमलता और सौंदर्य की अधिष्ठात्री देवी हैं।
मां महागौरी का रूप अत्यंत तेजस्विनी एवं पावन है। उनके चार भुजाओं में दिव्यता का संचार दृष्टिगोचर होता है—दाहिने ऊर्ध्व हस्त में अभय मुद्रा, अधो हस्त में त्रिशूल, बाएं ऊर्ध्व हस्त में डमरु तथा अधो हस्त में वर मुद्रा शोभायमान है। महागौरी के अलौकिक स्वरूप का वर्णन करते हुए शास्त्र कहते हैं कि भगवान शंकर को प्राप्त करने हेतु उन्होंने कठोर तपस्या की थी, जिसके परिणामस्वरूप उनका गौर वर्ण और दिव्य आभा प्रकट हुई।
पंचांग के अनुसार, आश्विन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 29 सितम्बर 2025 को संध्या 4 बजकर 32 मिनट से होगा तथा इसका समापन 30 सितम्बर को सायं 6 बजकर 6 मिनट पर होगा। उदया तिथि के आधार पर मंगलवार, 30 सितम्बर को महागौरी की अष्टमी पूजन सम्पन्न होगा।
धर्मग्रंथों में उल्लेखित है कि मां महागौरी की कृपा से साधक के जीवन में बाधाओं का नाश होता है, मनोबल की वृद्धि होती है और मानसिक शांति प्राप्त होती है। सुहागिन स्त्रियों को वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है, वहीं अविवाहित कन्याओं को मनोनुकूल वर प्राप्ति का सौभाग्य प्राप्त होता है।
पूजन-विधान में श्वेत, पीत अथवा गुलाबी वस्त्र धारण करना अत्यंत मंगलकारी माना गया है, क्योंकि महागौरी का प्रिय रंग श्वेत है। मान्यता है कि महागौरी की उपासना करने से समस्त नवदुर्गाएं प्रसन्न होती हैं। एक प्राचीन कथा के अनुसार, भगवान शिव ने अपनी जटाओं से प्रकट पावन गंगाजल से मां महागौरी का अभिषेक किया था, जिसके पश्चात देवी का गौरवर्ण आलोकित हुआ।
अष्टमी की तिथि को सौभाग्य और सिद्धि का प्रतीक माना गया है। इस दिवस पर श्रद्धा-भाव से की गई आराधना साधक के जीवन में पुण्य, समृद्धि और दिव्य आशीर्वाद का संचार करती है।