Bihar Politics: 21 जून को राजद को मिल जाएगा नया प्रदेश अध्यक्ष, इनके नाम पर लग सकती है मुहर, जानिए लालू-तेजस्वी का क्या है सीक्रेट प्लान
Bihar Politics: राजद सुप्रीमो लालू यादव और तेजस्वी यादव के भरोसे पर कौन खड़ा उतरता है और राजद किसे अपना नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करती है इसका फैसला 21 जून को हो जाएगा। 21 जून को राजद को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल जाएगा।

Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टी एक्शन मोड में है। जमीनी तौर पर सभी पार्टियों की ओर से विधानसभा चुनाव के लिए तैयारी की जा रही है। एनडीए और महागठबंधन के नेता एक दूसरे की जीत का दावा भी कर रहे हैं। एक ओर जहां एनडीए के नेता प्रत्येक जिलों में अभियान चला रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर महागठबंधन की ओर से सांगठनिक चुनाव जारी है। पहले चरण का चुनाव पूरा हो चुका है। पहले चरण में प्राथमिक ईकाई और पंचायत ईकाई के चुनाव खत्म होने के बाद अब दूसरे चरण में प्रखंड कमिटियों का चुनाव जारी है। वहीं तीसरे चरण में जिला कमिटी का चुनाव होगा। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इसी माह राजद को अपना नया प्रदेश अध्यक्ष भी मिल जाएगा। जानकारी अनुसार 21 जून को राजद के नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा हो सकती है।
प्रदेश अध्यक्ष के लिए इन नामों की चर्चा
दरअसल, राजद के द्वारा सभी जिलों में जिला अध्यक्षों के चुनाव खत्म होने के बाद 14 जून से राजद प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरु होगी। पार्टी सूत्रों की मानें तो 21 जून को राजद को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल जाएगा। प्रदेश अध्यक्ष के लिए 19 जून को नामांकन होगा। प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा इस पर अंतिम निर्णय तो लालू यादव का होगा लेकिन फिलहाल प्रदेश अध्यक्ष के लिए कई नामों की चर्चा हो रही है। जिसमें सबसे पहला नाम मंगनी लाल मंडल है। मंगनी लाल मंडल लंबे समय से जदयू में थे लेकिन हाल में उन्होंने राजद का दामान थामा है। इसके साथ ही आलोक मेहता, शिवचंद्र राम और कुमार सरबजीत के नामों की भी चर्चा हो रही है।
मंगनी लाल मंडल को मिल सकती है जिम्मेदारी?
सूत्रों की मानें तो प्रदेश की वर्तमान स्थिति को देखते हुए राजद भी पिछड़ा अतिपिछड़ा में से किसी नेता को प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष पर आखिरी फैसला लालू यादव और तेजस्वी यादव का ही होगा। लेकिन फिलहाल इन चार नामों की चर्चा तेज है। इस दौर में सबसे अधिक चर्चा मंगनी लाल मंडल की चर्चा हो रही है। मंगनी लाल मंडल मधुबनी के रहने वाले हैं और सीएम नीतीश और लालू यादव दोनों के करीबी माने जाते हैं। मंगनी अति पिछड़ा(धानुक) समाज से आते हैं। साथ ही लालू-राबड़ी सरकार में दो बार मंत्री भी रह चुके हैं। राज्यसभा और बिधान परिषद के सदस्य भी रहे हैं। हालांकि 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने राजद को छोड़ सीएम नीतीश का दामन थाम लिया था लेकिन 5 सालों के बाद उन्होंने राजद में घर वापसी कर ली है।
राजद चुनाव के पहले करेगी खेला?
ऐसे में राजनीतिक जानकारों की मानें तो राजद ईबीसी का खेल खेल सकती है। अति पिछड़ा वोट बैंक को साधने के लिए राजद मंगनीलाल मंडल को प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है। हालांकि आलोक मेहता, कुमार सरबजीत और शिवचंद्र राम के नाम की भी चर्चा तेज है। गौरतलब हो कि, बिहार सरकार ने साल 2023 में जाति-आधारित सर्वेक्षण करवाया था। जाति-आधारिक सर्वेक्षण के आंकड़े को देखे तो राज्य की कुल आबादी की 36 प्रतिशत जनसंख्या ईबीसी यानी अति पिछड़ा समाज की है। बिहार में कुल 112 जातियों को अति पिछड़ी कैटेगरी में रखा गया है। इनमें से 100 जातियां ऐसी हैं, जिनकी आबादी राज्य में 1 फीसदी से कम है। ऐसे में इस वोट बैंक को साधने के लिए सभी पार्टियों की ओर से कोशिश की जा रही है।
28 साल में बने 6 प्रदेश अध्यक्ष
1997 में राष्ट्रीय जनता दल की स्थापना के बाद कमल पासवान पहले प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए थे। उसी साल यानी 1997 में उदय नारायण चौधरी को ये जिम्मेदारी मिली, वह 1998 तक प्रदेश अध्यक्ष रहे। 1998 से 2003 तक पीतांबर पासवान, 2003 से 2010 तक अब्दुल बारी सिद्दीकी, 2010 से 2019 तक रामचंद्र पूर्वे और 2019 से अबतक जगदानंद सिंह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। वहीं अब 21 जून को पार्टी को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल जाएगा।
जगदानंद सिंह की विदाई तय?
सूत्रों की मानें तो जगदानंद सिंह को राजद के प्रदेश अध्यक्ष के पद से आधिकारिक तौर पर हटाया जा सकता है। राजद से जगदानंद सिंह की विदाई तय मानी जा रही है। दरअसल, जगदानंद सिंह लंबे समय से पार्टी से नाराज चल रहे हैं। बिहार विधानसभा उपचुनाव में महागठबंधन को मिली करारी हार के बाद से ही जगदानंद सिंह नाराज चल रहे थे। 13 नबंवर को बिहार के जिन 4 जीतों पर उपचुनाव हुआ था उनमें से 3 सीट पर राजद का कब्जा था लेकिन उपचुनाव में ये सभी सीट राजद के हाथ से निकल गए। उपचुनाव में राजद ने रामगढ़, इमामगंज और बेलागंज सीट पर अपने उम्मीदवारे उतारे थे लेकिन सभी सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। रामगढ़ से जगदानंद सिंह के छोटे बेटे अजीत सिंह ही पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े थे। परंपरागत सीट होने के बावजूद अजीत न केवल चुनाव हारे, बल्कि तीसरे स्थान पर रहे। वहीं 23 नवंबर को चुनाव परिणाम के बाद 25 नवंबर से जगदानंद सिंह ने पार्टी के प्रदेश कार्यालय आना बंद कर दिया है। जिसके बाद तमाम छोटे से बड़े कार्यक्रम हुए लेकिन जगदानंद सिंह प्रदेश कार्यालय नहीं पहुंचे। हालांकि जब लालू यादव दिल्ली एम्स में भर्ती थे तब जगदानंद सिंह ने एम्स में उनसे मुलाकात की थी।
पटना से रंजन की रिपोर्ट