Ratan Tata Death: तन टाटा, जो टाटा संस के पूर्व चेयरमैन और एक प्रतिष्ठित उद्योगपति थे। उनका बुधवार रात मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया। उनके निधन से भारत के कॉर्पोरेट जगत में एक युग का अंत हो गया। रतन टाटा अपने पीछे न केवल एक विशाल व्यापारिक साम्राज्य छोड़ गए हैं, बल्कि एक प्रेरणादायक विरासत भी छोड़ गए हैं।
रतन टाटा का करियर और योगदान
1991 से 2012 तक टाटा समूह का नेतृत्व करते हुए रतन टाटा ने समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने ग्लोबर लेवल पर कई बड़े अधिग्रहण किए, जिनमें टाटा मोटर्स द्वारा जगुआर लैंड रोवर और टाटा स्टील द्वारा कोरस का अधिग्रहण शामिल हैं। उनके नेतृत्व में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) 2004 में सार्वजनिक हुई और टाटा टेलीसर्विसेज को 1996 में लॉन्च किया गया।
हालांकि उन्होंने 2012 में टाटा संस के चेयरमैन पद से रिटारमेंट ले ली थी, लेकिन वे टाटा समूह के अन्य प्रमुख कंपनियों के मानद चेयरमैन बने रहे। इसके अलावा रतन टाटा ने परोपकारी कामों के प्रति भी विशेष ध्यान दिया और टाटा ट्रस्ट की देखरेख की, जो भारत के सबसे बड़े परोपकारी संगठनों में से एक है। रतन टाटा को उनके योगदानों के लिए 2008 में पद्म विभूषण और 2009 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
रतन टाटा के उत्तराधिकारी
रतन टाटा के निधन के बाद उनकी विरासत को उनके भतीजे और भतीजियां लिआ, माया और नेविल टाटा के कंधों पर आने की संभावना है। ये तीनों रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा के बच्चे हैं।
लिआ टाटा: लिआ तीनों में सबसे बड़ी हैं और उन्होंने मैड्रिड, स्पेन में स्थित IE बिजनेस स्कूल से मार्केटिंग में मास्टर डिग्री प्राप्त की है। लिआ ने 2006 में टाटा समूह में अपना करियर शुरू किया था, और वर्तमान में वह द इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड में उपाध्यक्ष के पद पर कार्यरत हैं।
माया टाटा: माया टाटा ने अपनी शिक्षा बेयस बिजनेस स्कूल और वारविक यूनिवर्सिटी से पूरी की है। वह टाटा डिजिटल में काम कर चुकी हैं और टाटा न्यू ऐप के लॉन्च में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
नेविल टाटा: नेविल टाटा ने टाटा समूह की खुदरा शाखा, ट्रेंट से अपने करियर की शुरुआत की। उन्होंने मानसी किर्लोस्कर से शादी की है और वह टाटा समूह की कंपनी स्टार बाज़ार का नेतृत्व कर रहे हैं।
टाटा समूह की विरासत
रतन टाटा का नेतृत्व और उनका जीवन एक प्रेरणा है, जो केवल व्यापारिक सफलता तक ही सीमित नहीं था, बल्कि उनके द्वारा किए गए सामाजिक और परोपकारी कार्यों का भी हिस्सा था। टाटा ट्रस्ट के माध्यम से, उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर योगदान दिया। रतन टाटा का जीवन व्यापारिक मूल्यों, परोपकार और समाज के प्रति जिम्मेदारी का प्रतीक था।