Ratan Tata Death News: रतन टाटा, टाटा संस के पूर्व चेयरमैन, का बुधवार रात मुंबई के एक अस्पताल में 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। दो दशक से अधिक समय तक टाटा समूह का नेतृत्व करने वाले रतन टाटा ने रात 11:30 बजे अंतिम सांस ली। उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था और वे पिछले कुछ समय से गहन चिकित्सा में थे। रतन टाटा का निधन न केवल व्यापार जगत के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ी क्षति है।
रतन टाटा का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
रतन टाटा का जन्म एक प्रतिष्ठित पारिवारिक पृष्ठभूमि में हुआ था, लेकिन उनका बचपन आसान नहीं था। उन्होंने अपने माता-पिता के तलाक के कारण बहुत कठिनाइयों का सामना किया। अपनी शिक्षा के लिए, उन्होंने न्यूयॉर्क के कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से वास्तुकला में बी.एस. की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद वे पारिवारिक व्यवसाय में शामिल हो गए और 1971 में टाटा इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष बने।
टाटा समूह के नेतृत्व में बदलाव
1991 में अपने चाचा जेआरडी टाटा से समूह की कमान संभालते हुए रतन टाटा ने टाटा समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उनके नेतृत्व में टाटा ने कई प्रमुख क्षेत्रों में विस्तार किया, जिनमें सॉफ्टवेयर से लेकर नमक तक शामिल हैं। उन्होंने टाटा समूह को एक वैश्विक व्यापारिक समूह के रूप में स्थापित किया।
निजी जीवन और कठिनाइयां
2020 में ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे के साथ एक Interview में रतन टाटा ने अपने बचपन और निजी जीवन के बारे में खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि कैसे उनके माता-पिता के तलाक ने उनके बचपन को प्रभावित किया और उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी दादी ने उन्हें इस कठिन समय में सहारा दिया और गरिमा के साथ जीना सिखाया।
भारत-चीन युद्ध के कारण टूट गई शादी
रतन टाटा ने बताया कि वे अपने कॉलेज के बाद लॉस एंजिल्स में एक आर्किटेक्चर फर्म में काम कर रहे थे, जहां उन्हें प्यार हो गया और वे लगभग शादी करने वाले थे। लेकिन उनकी दादी की बिगड़ती तबीयत के कारण उन्हें भारत लौटना पड़ा। वे उम्मीद कर रहे थे कि उनकी प्रेमिका उनके साथ भारत आएगी, लेकिन 1962 के भारत-चीन युद्ध के कारण उसकी फैमिली इस निर्णय से सहमत नहीं हुई और रिश्ता टूट गया।
रतन टाटा की विरासत
रतन टाटा का जीवन संघर्ष, दृढ़ संकल्प, और समाज के प्रति उनके योगदान का प्रतीक रहा है। उनके नेतृत्व में, टाटा समूह ने न केवल आर्थिक क्षेत्र में योगदान दिया, बल्कि सामाजिक सुधारों में भी अहम भूमिका निभाई। उनकी सरलता, दृष्टिकोण और उदारता ने उन्हें भारतीय व्यापारिक क्षेत्र का एक आदर्श बना दिया है।