पटना- लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल बजने के बाद बिहार में एनडीए में सीटों के बंटवारे की घोषणा हो चुकी है. पहली बार है भाजपा सीटों के मामले में जदयू आगे निकली है. इससे पहले लोकसभा हो या विधानसभा, भाजपा और जदयू के बीच या तो 50-50 का फार्मूला रहा या फिर जदयू अधिक सीटों पर चुनाव लड़ती आई है.लोकसभा चुनाव 2024 सीट शेयरिंग के फॉर्मूले के तहत भाजपा 17 सीटों पर और जदयू 16 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. वहीं चिराग पासवान की लोजपा (रा) को पाँच सीटें मिली हैं और जीतन राम मांझी की हम और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा पार्टी के खाते में एक-एक सीटें गई हैं.
17 सीट पर भाजपा, 16 पर लड़ेगी जदयू
सीट शेयरिंग के अनुसार भाजपा मोतिहारी,बेतिया, महाराजगंज, सारण, उजियारपुर, बेगूसराय, नवादा, पटना, मधुबनी, अररिया, दरभंगा, मुज़फ्फरपुर, साहिब, पाटलिपुत्र, आरा, बक्सर और सासाराम सीटों पर ताल ठोकेगी. तो जदयू के खाते में झंझारपुर, सुपौल, किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, मधेपुरा, बाल्मिकी नगर, सीतामढ़ी, गोपालगंज, सीवान, भागलपुर, बांका, मुंगेर, नालंदा, जहानाबाद, शिवहर सीटें जेडीयू के खाते में गई हैं.
भाजपा हुई मजबूत
सीट शेयरिंग में भाजपा से पीछे रहने पर मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि हम लोगों को 16 सीटों की ही उम्मीद थी. हमको लगता है कि ये माननीय नेताओं की सहमति से ही हुआ होगा.वहीं राजनीतिक विशलेषकों के अनुसार भाजपा अब बड़ा भाई बन गई है. राजनीतिक तौर पर वह मज़बूत हुई है और नीतीश कमज़ोर हो गए हैं."
चिराग को अहमियत
भाजपा ने चिराग पासवान को रामविलास का वारिश माना है और चिराग की पार्टी लोजपा (रा) को वैशाली, हाजीपुर, समस्तीपुर, खगड़िया, जमुई सीट मिली है. हाजीपुर लोकसभा सीट पर शुरु से हीं चिराग दावा ठोकते रहे हैं. उनकी बात भाजपा ने मान ली है. चाचा पशुपति पारस का पत्ता कट गया है. वहीं उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा पार्टी काराकाट से तो मांधी की पार्टी हम गया लोकसभा सीट पर ताल ठोकेगी.
बड़ी बेआबरु होकर निकले पारस
सीट शेयरिंग की घोषणा होने के बाद चिराग के चाचा पशुपति पारस ने बगावती तेवर अपना लिया है. कथित तौर पर पशुपति पारस केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे सकते हैं. उन्होंने पहले हीं घोषणा कर रखी है कि वे हाजीपुर सीट से हीं चुनाव लड़ेगे. उन्होंने दूसरा रास्ता देखने की बात कही थी. अब उनके कदम का इंतजार किया जा रहा है.
इंडी गठबंधन पर बढ़ा प्रेशर
वहीं एनडीए में सीट शेयरिंग होने के बाद इंडी गठबंधन पर दबाव बढ़ गया है कि वे तालमेंल घोषित करें. राजद पर कांग्रेस, वाम दल दबाव बढ़ा रहे हैं कि सीटों का बंटवारा शीघ्र किया जाए.