MUNGER : मुंगेर गौशाला की स्थापना आठ दशक पूर्व की गयी थी। एक समय यह गौशाला काफी समृद्ध था। लगभग पांच एकड़ भूमि में फैले इस गौशाले में बड़ी संख्या में गायें रहती थी और गौ वंश की रक्षा होती थी। लेकिन आज यह पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो चुका है। जबकि गौशाला के पास काफी संपत्ति है।
रेलवे गुमटी नंबर-5 स्थित संत कबीर चौक एवं बांका मुख्य पथ के दक्षिण 2 एकड़ से अधिक की उपजाऊ जमीन भी गौशाला के पास है। इतना ही नहीं लक्ष्मीपुर मुंगेर वन क्षेत्र में 300 एकड़ जमीन है। पूरे बिहार में सबसे बड़ा गौशाला मुंगेर गौशाला ही जाना जाता है। लेकिन उचित संचालन के अभाव में आज यह पूरी तरह लूट-खसोट का केंद्र बन गया है।
कभी मुंगेर स्थित गौशाला राज्य का प्रमुख एवं आदर्श गौशाला माना जाता था। इसके भव्य परिसर में गौवंश रक्षण संवर्धन की सुंदर व्यवस्था थी। गोपाष्टमी के अवसर पर एक सप्ताह का गो प्रदर्शनी और विशाल मेला लगता था। गौशाला अब गौवंश संरक्षण-संवर्धन के बजाय अन्य प्रकार की क्रियाकलाप का केंद्र बन गया है। गौशाला परिसर के लगभग आधे भाग में डीएवी पब्लिक स्कूल के दो-दो भव्य आलीशान भवन, खेल का मैदान है। जबकि गौशाला के मुख्य द्वार के दोनों ओर किराये पर कई दुकानें चल रही है। गौशाला के भीतरी भाग में, जहां गायों को रखा जाता था । वह खंडहर में तब्दील हो चुका है।
भूमि पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा बताया जाता है। एक दशक से जहां संचालन समिति का चुनाव नहीं कराया गया। वहीं इसकी संपत्ति का भी बंदरबांट किया जा रहा है। यहां तक कि गौ वंश का संरक्षण भी नहीं हो रहा है। इस मामले में मुंगेर विधायक, मेयर और गौशाला के पदेन अध्यक्ष सदर एसडीओ ने कहा की मुंगेर गौशाला को पुनः जीवित कर इससे गौवंश की संरक्षण के लिए तैयार करवाया जायेगा। जिसको लेकर निगम के द्वारा भी पहल किया जा रहा है। जल्द ही चुनाव करवाया जायेगा।
मुंगेर से इम्तियाज़ खान की रिपोर्ट