DESK : नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने एयरलाइन कंपनियों को नए दिशानिर्देश जारी किए है. DGCA ने कंपनियों से कहा है अगर एयरलाइन को लगता है कि कोई दिव्यांग यात्री विमान में बैठने की हालत में नहीं है और उड़ान के दौरान उसकी तबीयत ख़राब हो सकती है तो यात्री को बिना डॉक्टरी जांच कराए विमान में बैठने से इनकार नहीं किया जा सकता है. DGCA ने कहा कि किसी भी दिव्यांग यात्री को बिना मेडिकल जांच कराए विमान में बैठने से नहीं रोका जा सकता है. इस बारे में कंपनियों को पहले एयरपोर्ट पर मौजूद डॉक्टर से सलाह लेनी होगी और उनकी सलाह के आधार पर ही एयरलाइन को यह फैसला लेना होगा कि अमूक यात्री उड़ान के लायक है या नहीं.
DGCA ने यह भी कहा कि अगर किसी केस में डॉक्टर यात्री को उड़ान भरने से रोकने की सलाह देता है तो एयरलाइन को इस बारे में तत्काल यात्री को लिखित में सूचना देनी होगी और विमान में बैठने से रोकने का स्पष्ट कारण भी बताना होगा. DGCA ने नियामक में जून में ही एक मसौदा जारी कर लोगों से सुझाव मांगे थे. 2 जुलाई तक आए सुझावों के आधार पर ही अब DGCA नया नियम बनाने की ओर बढ़ रहा है.
दरअसल मामला 9 मई, 2022 का है जब इंडिगो ने रांची-हैदराबाद की उड़ान में एक दिव्यांग लड़के को बिना किसी डॉक्टरी जांच और सलाह के विमान में बैठाने से इनकार कर दिया था. एयरलाइन के स्टाफ ने बच्चे को 'अन्य यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा' बताकर विमान में बैठाने से इनकार कर दिया था . अपने बच्चे को यात्रा से रोके जाने के बाद उसके अभिभावक ने भी विमान में बैठने से इनकार कर दिया था. इस पर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्वीट कर इस मामले पर चिंता जताई और व्यक्तिगत रूप से घटना की जांच कराने की बात कही थी. मामला सामने आने के बाद DGCA ने इंडिगो एयरलाइन पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था. DGCA ने यह कदम इंडिगो एयरलाइन में इस मामला के सामने आने के बाद उठाया था. इंडिगो के सीईओ रॉन्जॉय दत्ता ने बाद में एयरलाइन के व्यवहार पर खेद जताया था और दिव्यांग बच्चे के लिए इलेक्ट्रिक व्हीलचेयर खरीदने का प्रस्ताव दिया था.