न्यूज़ 4 नेशन डेस्क : आज दीपावली है, और पुरे देश में इसकी धूम है. आज से नए महालक्ष्मी वर्ष का आरंभ हो रहा है. ऐसी मान्यता है कि भगवान राम चौदह साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे. इस खुशी में अयोध्यावासियों ने घर में घी के दिए जलाए थे और अमावस्या की काली रात भी रोशन हो गई थी. इसलिए दिवाली को प्रकाशोत्सव भी कहा जाता है. इस दिन लोग मां लक्ष्मी और गणेश की पूजा करते हैं. शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण अमावस्या तिथि को प्रदोष काल में स्थिर लग्न में दिवाली पूजन करने से अन्न-धन की प्राप्ति होती है.
पूजा का शुभ मुहूर्त:-
लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त: शाम 17:57 से 19:53 तक.
प्रदोष काल: शाम 17:27 बजे से 20:06 बजे तक.
वृषभ लग्न: 17:57 बजे से 19:53 बजे से तक.
ऐसे करें मां लक्ष्मी की पूजा :-
पूजा के लिए जरुरी सामग्री -कलावा, रोली, सिंदूर, एक नारियल, अक्षत, लाल वस्त्र , फूल, पांच सुपारी, लौंग, पान के पत्ते, घी, कलश, कलश हेतु आम का पल्लव, चौकी, समिधा, हवन कुण्ड, हवन सामग्री, कमल गट्टे, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल), फल, बताशे, मिठाईयां, पूजा में बैठने हेतु आसन, हल्दी, अगरबत्ती, कुमकुम, इत्र, दीपक, रूई, आरती की थाली।
सबसे पहले श्री गणेश जी का ध्यान करें और फिर स्नान कराएं और नए वस्त्र और फूल अर्पित करें. इसके बाद मां लक्ष्मी की प्रतिमा को पूजा के स्थान पर रखें और सच्चे मन से ध्यान कर आवाहन करें. इसके बाद उन्हें वस्त्र, आभूषण और माला पहनाएं. माता के पैरों में गुलाब के फूल अर्पित करें. और फिर भोग लगाएं. महालक्ष्मी के महामंत्र ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद् श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मयै नम: का कम से कम 108 बार जाप करें.