पटना : मोकाम वाले बाहुबली निर्दलीय विधायक अनंत सिंह के पैतृक गांव नदवां से एके-47 और हैंड ग्रेनेड की बरामदगी के बाद पटना पुलिस ने छोटे सरकार पर नकेल कसने के लिए UAPA के तहत केस दर्ज किया दिया गया. बाढ़ की एसएसपी लिपि सिंह को इस केस का आईओ बनाया गया. लेकिन इन सब के बीच सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर जब अनंत सिंह पर UAPA के तहत केस दर्ज हुआ तो केंद्रीय एजेंसिंयों ने इस मामले में जांच क्यों नहीं की.
जानकारों की मान तो UAPA के तहत केस दर्ज होने पर केंद्रीय एजेंसी NIA की भूमिका अहम मानी जाती है. लेकिन बाहुबली अनंत सिंह के मामले में देखा जाए तो राज्य की पुलिस ने जांच का पूरा काम कर लिया और चार्जशीट दाखिल कर दी गई. यहां यह सवाल उठना लाजमी है कि पटना पुलिस ने केंद्रीय एजेंसियों को क्या इस मामले से दूर रखा? सवाल नंबर दो जब अनंत सिंह पर केस UAPA के तहत दर्ज हुआ तो NIA की गतिविधियों पटना और बाढ़ में क्यों दिखी?
क्या है UAPA
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में आतंक पर नकेल कसने के लिए UAPA बिल में संसोधन किया गया. इसके जरिए आतंकियों संगठन पर चाप चढ़ाने की पूरी कोशिश की था. यूएपीए बिल के तहत केंद्र सरकार किसी भी संगठन को आतंकी संगठन घोषित कर सकती है अगर निम्न 4 में से किसी एक में उसे शामिल पाया जाता है.
1. आतंक से जुड़े किसी भी मामले में उसकी सहभागिता या किसी तरह का कोई कमिटमेंट पाया जाता है.
2. आतंकवाद की तैयारी
3. आतंकवाद को बढ़ावा देना
4. आतंकी गतिविधियों में किसी अन्य तरह की संलिप्तता
इसके अलावा यह विधेयक सरकार को यह अधिकार भी देता है कि इसके आधार पर किसी को भी व्यक्तिगत तौर पर आतंकवादी घोषित कर सकती है.
लेकिन अनंत सिंह के मामले में यह साफ तौर पर देखा गया कि अनंत पर नकेल कसने के लिए UAPA के तहत केस तो दर्ज कर दिया गया लेकिन जांच के दौरान केंद्रीय एंजेंसियों की भूमिका नहीं देखी गई. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि क्या पटना पुलिस ने जांच से केंद्रीय एजेंसियों को क्यों दूर रखा या फिर से किसके इशारे पर कंद्रीय एंजेसियों को दूर रखा गया.
पटना के कुंदन की रिपोर्ट