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भाजपा के खिलाफ नीतीश की रणनीति को अरविंद केजरीवाल ने दिया बड़ा झटका, विपक्षी एकता से इस कारण बनाई दूरी

भाजपा के खिलाफ नीतीश की रणनीति को अरविंद केजरीवाल ने दिया बड़ा झटका, विपक्षी एकता से इस कारण बनाई दूरी

पटना. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आने वाले लोकसभा चुनाव के पहले विपक्षी एकता को मजबूत करने के लिए पिछले महीनों के दौरान कई नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं. लेकिन अब नीतीश की इस मुहीम को आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने बड़ा झटका दिया है. कहा जाए तो बनने से पहले ही विपक्षी एकता का एक धड़ा अलग हो चुका है और इसमें पहला नाम अरविंद की पार्टी आप का है जो दिल्ली और पंजाब में सत्तासीन है. दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने साफ संकेत दे दिया है कि वे जदयू नेता और बिहार के सीएम नीतीश के साथ भाजपा के खिलाफ बनने वाले विपक्षी संगठन में शामिल नहीं होंगे. 

दिल्ली और पंजाब में सरकार बना चुकी आप इन दिनों गुजरात में चुनावी दमखम दिखा रही है. इसी बीच आप नेता अरविंद ने कहा कि उन्हें गठबंधन की राजनीति समझ में नहीं आती है. जब भी गठबंधन की या विपक्षी एकजुटता की बात आती है तो, उसका मकसद बीजेपी को हराना ही होता है. बीजेपी या किसी भी अन्य पार्टी को हराने या जिताने का काम जनता करती है, नहीं की कोई दल. उन्होंने कहा कि अगर हम सभी इकट्ठा हो जाएं और जनता के सामने जाकर ये कहें कि हमें बीजेपी को हराने के लिए वोट दो, अगर जनता भाजपा को हराना नहीं चाहती तो हमें स्वीकार नहीं करेगी. केजरीवाल ने स्पष्ट किया कि बीजेपी को हराने के लिए बने किसी भी गठबंधन में वे शामिल नहीं होंगे. अगर देश की तरक्की के लिए कोई गठबंधन बनता है तो वे उसके साथ हैं.

दरअसल, नीतीश कुमार ने कुछ महीने पूर्व देश के कई विपक्षी नेताओं से मुलाकात की थी. इसमें अरविंद केजरीवाल भी शामिल थे. दो दिन पूर्व ही महाराष्ट्र के पूर्व सीएम और शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे भी पटना में नीतीश से मिले थे. इन सारी मुलाकातों के पीछे नीतीश की विपक्षी एकता की मुहीम के रूप में देखा जा रहा था. नीतीश कुमार के अलावा कई अन्य विपक्षी नेताओं ने भाजपा को 2024 के लोकसभा चुनव में हराने के लिए विपक्षी एकता की जरूरत की बात कही है. हालांकि कहीं से भी अभी तक ऐसी किसी एकता को साकार करने की दिशा में जमीनी प्रयास नहीं दिखा था. 

इस बीच अब अरविंद केजरीवाल के ताजा बयान से नीतीश की उम्मीदों का बड़ा झटका लगा है अरविंद की पार्टी आप इस समय दो प्रमुख राज्यों दिल्ली और पंजाब में सत्तासीन है. देश में भाजपा और कांग्रेस को छोड़कर आप ही एक मात्र पार्टी है जो दो राज्यों में सत्तासीन है. साथ ही देश में सबसे तेजी से जिस दल का सांगठनिक विस्तार हुआ है उसमें आप शीर्ष पर है. इसलिए विपक्षी एकता की मुहीम को साकार करने में अरविंद का नीतीश को साथ देना बेहद अहम समझा जा सकता है. लेकिन केजरीवाल ने सीधे तौर पर ऐसे किसी गठबंधन में शामिल होने की संभावना ख़ारिज कर दी है. 


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