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औरंगाबाद जिला परिवहन विभाग का अनोखा कारनामा, गाड़ी किसी और की हो गयी किसी और के नाम, मच गया हड़कंप

औरंगाबाद जिला परिवहन विभाग का अनोखा कारनामा, गाड़ी किसी और की हो गयी किसी और के नाम, मच गया हड़कंप

AURANGABAD : जिले के परिवहन विभाग के भ्रष्ट कर्मचारियों ने एक ऐसा खेल - खेल दिया। जिससे परिवहन विभाग के अधिकारी तथा कर्मचारी शक के घेरे में आ गये है। कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है की गाड़ी किसी और की और हो गयी किसी और के नाम। सवाल उठता है कि यह कमाल किसने किया तो जान लीजिए कि परिवहन विभाग को छोड़कर किसी और विभाग की हिम्मत ही नही कि ऐसा कमाल कर  सके। 


दरअसल हुआ यह कि क्रेता ने असली गाड़ी मालिक के बदले किसी और को मालिक बनाकर खड़ा किया। कागजात भी फर्जी तैयार कर डीटीओ ऑफिस में सबमिट कर दिया। ऑफिस के बाबुओं ने जांचे परखे बिना गाड़ी को फर्जी क्रेता के नाम कर दिया। लेकिन गाड़ी असली मालिक के पास ही रह गई। मामले का खुलासा तब हुआ जब टंडवा थाना क्षेत्र के फुलवरिया गांव निवासी बोलेरो वाहन मालिक अरविंद कुमार शर्मा गाड़ी का प्रदूषण सर्टिफिकेट बनवाने प्रदूषण जांच कर गये। प्रदूषण जांच घर ने जब उन्हे बताया कि यह गाड़ी उनकी नही बल्कि बेतिया के मधुसूदन भट्टाचार्य की है। यह सुनते ही गाड़ी मालिक के होश उड़ गये। 

इसके बाद उन्होंने मामले की शिकायत औरंगाबाद के जिलाधिकारी और जिला परिवहन पदाधिकारी से की। शिकायत के बाद पूरा मामला ही खुल गया। वाहन मालिक ने बताया कि 2014 में उन्होने शहर की ही एक एजेंसी से बोलेरो खरीदा था, जिसका नंबर बीआर 26डी 2049 है। उन्होने बताया कि वे अपने निजी काम से 10 सितंबर को औरंगाबाद आए थे। लौटते वक्त मुफस्सिल थाना क्षेत्र में चतरा मोड़ स्थित एक वाहन प्रदूषण बनाने वाली दुकान पर अपाची बाइक रोका। बाइक प्रदूषण फेल होने वाला था। लिहाजा नया बनवाने लगे। 

इसी बीच गाड़ी मालिक ने सोचा कि बोलेरो का भी समाप्त होने वाला है। क्यों न उसका भी बनवा लें। जब दुकान संचालक को गाड़ी नंबर बताया तो संचालक ने गाड़ी मालिक का नाम पूछा, जिसके बाद जयराम शर्मा बताया। लेकिन संचालक ने कहा कि यह गाड़ी तो बिक गई है। यह सुनते गाड़ी मालिक चौंक गए। उसी ने गाड़ी के फर्जी खरीददार का ऑनलाइन देखकर नाम बताया। इसके बाद असली गाड़ी मालिक ने इसकी शिकायत डीटीओ कार्यालय में की। शिकायत के बाद डीटीओ कार्यालय सन्न रह गया। डीटीओ बाल मुकुंद प्रसाद फौरन एक्शन में आ गये। उन्होने मामले की गहराई से जांच की। जांच में सारा फर्जीबाड़ा उजागर हुआ। इसके बाद डीटीओ ने फर्जी ऑनर के नाम निर्गत आरसी कैंसिल कर दिया और असली ऑनर को नया आरसी निर्गत कर मामले का पटाक्षेप कर दिया। डीटीओ ने बताया कि जांच में फर्जीबाड़ा करनेवालों का नाम उजागर हो गया है, और वे उन सब पर प्राथमिकी दर्ज करा रहे है। इधर गाड़ी के असली मालिक ने गाड़ी के पुनः अपने नाम हो जाने पर राहत की सांस ली है।

औरंगाबाद से दीनानाथ मौआर की रिपोर्ट 

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