CHAPRA : भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर की शैली का आखिरी स्तंभ भी आज उस वक्त खत्म हो गया। जब पद्मश्री रामचंद्र मांझी 97 साल की उम्र में संसार से रुखसत हो गए। 2021 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया था। बिहार के सारण जिले में जन्मे भिखारी ठाकुर के प्रिय शिष्य का जाना सारण की एक बड़ी क्षति है।
उनके अंतिम यात्रा में भाजपा जिलाध्यक्ष रामदयाल शर्मा तथा गरखा के पूर्व विधायक ज्ञानचंद मांझी ने रामचंद्र मांझी के पार्थिव शरीर को कंधा दिया तथा उनकी अंतिम यात्रा में सम्मिलित हुए। भाजपा जिलाध्यक्ष रामदयाल शर्मा ने शोक व्यक्त करते हुए कहा की उनका इस तरह से जाना हम सभी को झंझोर कर रख दिया है। उनके जाने से एक प्रथा का अंत हो गया, जिसकी वजह से वो जाने जाते थे। आज लौंडा नाच विलुप्त सा हो गया है।
पूर्व विधायक ज्ञानचंद मांझी ने शोक प्रकट करते हुए कहा की रामचंद्र मांझी भिखारी ठाकुर के सहयोगी कलाकार थे। उन्होंने एक से बढ़कर एक नाटको में जीवन्त भूमिका निभाई है जो हमेशा यादगार रहेंगे। भाजपा नेता श्याम बिहारी अग्रवाल ने शोक व्यक्त करते हुए कहा की रामचंद्र मांझी जैसे कलाकार मरते नहीं है अमर हो जाते है। रामचंद्र मांझी भी अपना कला से अमर हो गए है।
उनके निधन पर भाजपा जिलाध्यक्ष रामदयाल शर्मा, उपाध्यक्ष बृजमोहन सिंह, डॉ धर्मेंद्र सिंह, लालबाबू कुशवाहा, राजेश ओझा, श्याम बिहारी अग्रवाल, महिला मोर्चा अध्यक्ष अनु सिंह, मोर्चा अध्यक्ष बबलू मिश्रा, बलवंत सिंह, ओबीसी मोर्चा जिला अध्यक्ष पप्पू चौहान, विधि प्रकोष्ठ जिला संयोजक मनोज कुमार सिंह आदि ने शोक व्यक्त किया है।
छपरा से शशि सिंह की रिपोर्ट