DESK: गोपालगंज के पूर्व डीएम जी कृष्णैया की हत्या मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे बाहुबली व पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई में अब दो दिन बचे हुए हैं लेकिन तकनीकी दिक्कतें ऐसी हैं कि जिससे उनकी रिहाई टल सकती है। ऐसे में उनके समर्थकों ने सोशल मीडिया पर कैंपेन चलाया। जिसमें छह घंटे में तीन लाख से ज्यादा पोस्ट किये गये। समर्थकों के चलाये कैंपेन के कारण #ReleaseAnandMohan और #JusticeforAnandMohan जैसे हैशटैग्स ट्रेंड कर रहे हैं। दोनों हैशटैग्स पर कुल मिलाकर तीन लाख से ज्यादा पोस्टस किए गए हैं। यह ट्रेंड कई घंटों तक देश भर में टॉप पर रहा है। ज्ञात हो कि उम्रकैद की सजा काट रहे आनंद मोहन की सजा 17 मई को समाप्त हो रही है। तकनीकी दिक्कतों के सामने आने के कारण ही उनके समर्थक मीडिया कैंपेन कर के बिहार सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
क्या है तकनीकी दिक्कत
दरअसल गोपालगंज में डीएम रहे जी कृष्णैया की हत्या के मामले में आनंद मोहन 2007 से उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। 17 मई को उनकी 14 वर्ष की सजा पूरी हो रही है। लेकिन सजा पूरी होने से पहले होने वाली रिहाई की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है। उनके बेटे व राजद विधायक चेतन आनंद कहते हैं कि कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन की वजह से रिहाई से पहले बनने वाली बोर्ड नहीं बन सकी। इस बोर्ड को कोर्ट में सजा पूरी होने की जानकारी देनी थी। इसके बाद राज्य सरकार रिहाई की प्रक्रिया संपन्न कराती है। चेतन आनंद कोरोना को आनंद मोहन की रिहाई में आ रही मुश्किल की वजह बताते हैं, साथ ही यह भी कहते हैं कि इसी वजह से हम मांग कर रहे हैं कि राज्य सरकार सक्रिय हो और उनकी रिहाई कराए।
समर्थकों को दिया धन्यवाद
उन सभी समर्थकों को चेतन आनंद ने धन्यवाद दिया है, जिन्होंने सोशल मीडिया कैंपेन में हिस्सा लिया। चेतन ने कहा कि लॉकडाउन नहीं होता तो हम सभी पटना की सड़कों पर उतरते। सोशल मीडिया पर कैंपेन इसलिए चलाया गया ताकि सरकार तक उनके समर्थकों की भावना पहुंचे। आनंद मोहन की पत्नी व पूर्व सांसद लवली आनंद ने भी इस कैंपेन के लिए समर्थकों को धन्यवाद दिया है। उन्होंने कहा कि मेरे पिता का निधन हाल ही में 101 वर्ष की आयु में हुआ है। वे अपने दामाद को जेल से बाहर देखना चाहते थे, लेकिन यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी। अब मेरी सास ने 97 वर्ष की उम्र में कोरोना को मात दी है। उनकी इच्छा है कि अपने बेटे को जेल से बाहर देखें। बिहार सरकार को इस मामले में तुरंत संज्ञान लेकर उन्हें रिहा करने की कार्रवाई करनी चाहिए।
छाया रहा आनंद मोहन की रिहाई का ट्रेंड
सोशल मीडिया पर शनिवार दोपहर शुरू हुए इस कैंपेन में शाम छह बजे तक तीन लाख से भी ज्यादा पोस्ट किये गये। कई ऐसे पोस्ट थे जिनमें आनंद मोहन को रियल हीरो बताया गया। कई पोस्ट सरकार की साजिश बताते रहे। ज्ञात हो कि डीएम की हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए आनंद मोहन देश के पहले पूर्व सांसद व पूर्व विधायक हैं, जिन्हें मौत की सजा मिली। बता दें कि आनंद मोहन शिवहर से पूर्व सांसद हैं। उनके दादा रामबहादुर सिंह स्वतंत्रता सेनानी थे। वर्ष 1994 में मुजफ्फरपुर में छोटन शुक्ला की हत्या के बाद उनकी अंतिम यात्रा के बीच गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की लालबत्ती की गाड़ी गुजर रही थी। लालबत्ती की गाड़ी देख भीड़ भड़क उठी और जी कृष्णैया को पीट-पीटकर मार डाला। जी कृष्णैया की हत्या का आरोप आनंद मोहन पर लगा। आरोप था कि उन्हीं के कहने पर भीड़ ने उनकी हत्या की। आनंद की पत्नी लवली आनंद का नाम भी आया। इस मामले में 2007 में निचली अदालत ने आनंद मोहन को मौत की सजा दी थी। हालांकि, पटना हाईकोर्ट ने दिसंबर 2008 में मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी जुलाई 2012 में पटना हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा।