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माफिया राजः पटना भू-अर्जन दफ्तर में प्रतिनियुक्ति का बड़ा खेल! 8-10 सालों से जमे हैं कई कर्मी, DM ने ट्रांसफर भी किया फिर भी नहीं पड़ा असर

माफिया राजः पटना भू-अर्जन दफ्तर में प्रतिनियुक्ति का बड़ा खेल! 8-10 सालों से जमे हैं कई कर्मी, DM ने ट्रांसफर भी किया फिर भी नहीं पड़ा असर

PATNA: बिहार में सारे कायदे-कानून सिर्फ दिखावे के लिए हैं। सक्षम सरकारी सेवकों के लिए कोई नियम नहीं है। जिसकी सेटिंग तगड़ी है वो मलाईदार पोस्ट पर कुंडली मारे सालों-साल बैठा रह सकता है। दूसरे जिले की बात छोड़िए पटना जहां सरकार बैठी हो वहां का ये हाल है। पटना के भू-अर्जन कार्यालय में माफिया राज है। इस दफ्तर में पदस्थापित कर्मियों का ट्रांसफऱ भी होता है, फिर भी वे इस दफ्तर से जाना नहीं चाहते. दफ्तर में प्रतिनियुक्ति का खेल एक दशक से जारी है. जून 2020 में पटना के डीएम ने सभी प्रतिनियुक्त कर्मियों का स्थानांतरण भी किया. लेकिन सेटिंग की बदौलत आज भी 5-6 कर्मी प्रतिनियुक्ति पर बने हुए हैं। यानी सेटिंग की बदौलत डीएम के स्थानांतरण आदेश को खुली चुनौती दी जा रही। जिला भू-अर्जन पदाधिकारी भी इस इश्यू पर साफ-साफ नहीं जवाब दे रहे।

चिराग तले अंधेरा  

जानकारी के अनुसार पटना के भू-अर्जन कार्यालय में 5-6 ऐसे कर्मी हैं जो काफी समय से प्रतिनियुक्ति पर जमे हैं। एक कर्मी तो 10 साल से अधिक समय से जमा है। एक कर्मी को निगरानी ने रिश्वत लेते गिरफ्तार किया। फिर भी वो भू-अर्जन कार्यालय में जमा है। कई अन्य कर्मियों पर भी गड़बड़ी के आरोप हैं। इसके बाद भी डेपुटेशन पर वैसे लिपिक जिला भू-अर्जन कार्यालय पटना में कार्य कर रहे। 

डीएम ने स्थानांतरित भी किया फिर भी नहीं गये सेटिंग वाले कर्मी

30 जून 2020 में पटना के जिलाधिकारी ने 139 कर्मियों के स्थानांतरण का आदेश जारी किया था। डीएम के स्थानांतरण आदेश में जिला भू-अर्जन कार्यालय में प्रतिनियुक्ति पर कार्य कर रहे कर्मियों को भी दूसरे ब्लॉक-अनुमंडल कार्यालयों में पदस्थापित किया गया था। डीएम के स्थानांतरण आदेश में साफ उल्लेख था कि भू-अर्जन कार्यालय में ये लिपिक पदस्थापित नहीं बल्कि प्रतिनियुक्ति पर थे। मतलब साफ कि वे कर्मी लंबे समय से इसी दफ्तर में जमे थे। उन कर्मियों को डीएम ने 2020 में ही स्थानांतरित किया था। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार स्थानांतरण के बाद भी वैसे कर्मी प्रभार देने व अन्य कामों को आधार बना नई जगह पर नहीं गये। बताया जाता है कि वैसे कर्मियों पर अधिकारियों की भी मेहरबानी है। क्यूं कि डीएम के स्थानांतरण आदेश में साफ आदेश था कि जो कर्मी नये जगह पर योगदान नहीं देंगे उन पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद भी अगर 5-6 कर्मी आज भी प्रतिनियुक्ति पर भू-अर्जन कार्यालय में जमे हैं तो अधिकारियों पर सवाल उठना लाजिमी है। ऐसा नहीं कि भू-अर्जन कार्यालय में कर्मियों की कमी है, बल्कि एक दर्जन अतिरिक्त भू-अर्जन कर्मियों को ऑफिस में समायोजन किया गया है। फिर भी स्थानांतरित कर्मियों को प्रतिनियुक्त करा कर काम लिया जा रहा। जिससे सुशासन पर बड़ा सवाल खड़ा हो रहा। 

जानिए अधिकारी ने क्या कहा....

इस संबंध में जब हमने पटना के जिला भू-अर्जन पदाधिकारी प्रमोद कुमार से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि वे यहां पर नया हैं। कर्मियों के लंबे समय से प्रतिनियुक्ति की जानकारी उन्हें नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर प्रतिनियुक्ति भी होगी तो वरीय अधिकारी ही प्रतिनियुक्त किये होंगे। उनसे जब लंबे समय से प्रतिनियुक्त कर्मियों का नाम बताया गया तो वे जवाब देने से कन्नी कटाने लगे।

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