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बिहार के ‘प्राईवेट प्रिय सरकारी मंत्री’ के बोल- निजी सेक्टर के अस्पताल से हीं हो सकता है राज्य का भला

बिहार के ‘प्राईवेट प्रिय सरकारी मंत्री’ के बोल- निजी सेक्टर के अस्पताल से हीं हो सकता है राज्य का भला

पटनाः बिहार के प्राईवेट प्रिय सरकारी मंत्री ने निजी सेक्टर के अस्पतालों के पक्ष में जमकर कसीदें पढ़ा है।प्राईवेट प्रिय मंत्री ने तो सीमा लांघते हुए निजी अस्पतालो के बारे में कह दिया कि प्राईवेट अस्पताल से बिहार का हेल्थ सेक्टर बेहतर हो सकता है।सूबे के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय पटना में एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। 

शायद बिहार के स्वास्थ्य मंत्री को सरकारी अस्पताल को बेहतर बनाने की जगह निजी सेक्टर के अस्पतालों में बेहतर भविष्य दिखायी दे रहा हो।तभी तो उन्होंने कहा कि पब्लिक-प्राईवेट सेक्टर के हॉस्पिटल से बिहार का हेल्थ सेक्टर में काफी सुधार होगा।

मंत्री को शायद अब लगता होगा कि बिहार की सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से माकूल हो गयी है और वहां अब कुछ करने की जरूरत नहीं रही।स्वास्थ्य महकमे के काबिना मंत्री जी यह समझते होंगे कि हमने सरकारी अस्पतालों को बहुत आगे कर दिया है।इसलिए अब निजी क्षेत्र के अस्पतालों को बिहार में आगे करने की जरूरत है।

मंत्री जी को अगर याद नहीं है तो हम याद करा देते हैं कि मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में सरकारी कुव्यवस्था से हर दिन मासूमों की मौत हो रही है। सरकारी अस्पतालों में डाक्टर नहीं है।ग्रामीण इलाकों की बात तो छोड़ दीजिए शहरी इलाकों के अस्पताल में मरीजों का इलाज नहीं हो रहा दवा नहीं मिल रही,लापरवाही से हर दिन गरीब मरीजों की जान जा रही है।लेकिन स्वास्थ्य मंत्री जी को निजी सेक्टर के अस्पतालों में बेहतर भविष्य दिखायी पड़ रहा है।

हद हैं बिहार के नेता! और सरकार के मंत्री का प्राईवेट प्रेम।गरीबों के नाम पर राजनीति करने वाले इन नेताओं को गरीबों की कोई चिंता नहीं।गरीब मरता है तो मरे उनके लिए निजी सेक्टर हीं आशा की किरण है। 



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