BHAGALPUR: बिहार में उद्योग मंत्रालय के अधीन भागलपुर का रेशम एवम वस्त्र संस्थान कभी एशियाई देशों के लिए नूर हुआ करता था। 1922 में स्थापित और 1978 में पुनःगठित रेशम एवं वस्त्र संस्थान में एक बार फिर से जान डालने के लिए बिहार सरकार के उद्योग मंत्री शैयद शाहनवाज हुसैन ने सिल्क की खोई चमक को वापस लाने के लिए जायजा लिया।
शाहनवाज हुसैन ने रेशम संस्थान के कर्मियों से संस्थान की विशेष जानकारी भी ली। उद्योग मंत्री ने कहा कि बिहार में कृषि आधारित उद्योग की संभावनाओं के बीच टेक्सटाइल उद्योग की प्रबल संभावना है। खासकर भागलपुर के रेशमी, मखमली, मुलायम कपड़े की पहचान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आज भी है। बुनकर के उन हुनर को और निखारने के लिए सिल्क संस्थान को दुरुस्त कर डिग्री स्तर की पढ़ाई की शुरआत करेंगे। भागलपुर से मेरी पहचान है तो उस पहचान में सिल्क जान डाल देगी। उद्योग मंत्री ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार चाहते हैं बुनकर का भला हो। बिहार में बड़े बड़े उद्योग लग रहे हैं। गरीब बुनकर की चिंता हमलोग कर रहे हैं। यहां पहले डिप्लोमा की पढ़ाई होती थी। अब आगे डिग्री की पढ़ाई के लिए हम अप्रूवल नहीं है। इशके लिए संबंधित अधिकारी को परमशन के लिए लिथा है। कर्मचारी की कमी भी पूरी की जाएगी।
उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन ने एक बार फिर कहा कि बुनकरों के लिए सीएम के मन में बहुत प्यार है। उन्होनें बताया कि जैसा पटना में खादी मॉल बना है, वैसा हर कमिशनरी में बनाना चाहते हैं, ताकि बुनकरों की लागत सही से निकल सके और उनका धंधा बढ़े। टेक्सटाइल और लेदर पॉलिसी बिहार की बड़ी ताकत है। इस पॉलिसी के बाद से काफी सकारात्मक परिवर्तन नजर आने लगेंगे। भागलपुर से मैं प्रतिनिधित्व करता हूं, इसलिए चिंता ज्यादा है। बिहार को तो वैसे एक नजरिए से देखता हूं, मगर भागलपुर के लिए चिंता ज्यादा है। बिहार के रेशमी चेहरों की चमक वापस लाना जरूरी है। भागलपुर की पहचान यहां के रेशमी वस्त्र और बुनकरों से हैं। यह पहचान केवल नाम की ही नहीं, बल्कि काम से भी होनी चाहिए। यही हमारा मूल प्रयास है।