ग्रामीण चिकित्सकों के धरना में शामिल हुए भाजपा नेता सम्राट चौधरी और देवेश कुमार, कहा मांगों को विधानमंडल सत्र में उठाएंगे

PATNA : बिहार भर के ग्रामीण चिकित्सकों ने आज पटना के गर्दनीबाग धरना स्थल पर एक दिवसीय धरना दिया। तकरीबन एक हजार की संख्या में जुटे ग्रामीण चिकित्सकों को संबोधित करते हुए पूर्व मंत्री और बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि बिहार सरकार ग्रामीण चिकित्सकों के रेगुलर सर्टिफिकेट कोर्स की व्यवस्था तो करे ही विभाग से रजिस्ट्रेशन कराकर उनको स्वास्थ्य व्यवस्था से जोड़े। ग्रामीण चिकित्सकों की सुरक्षा का सवाल भी एक अहम सवाल है जिस पर सरकार को काम करना चाहिए।
चौधरी ने ग्रामीण चिकित्सकों की सभी मांगों का समर्थन करते हुए कहा कि वह इस मुद्दे को विधानसभा सत्र के दौरान उठाएंगे और संघर्ष में भागीदार बनकर अंजाम तक पहुंचाएंगे। बिहार विधान परिषद के सदस्य देवेश कुमार ने ग्रामीण चिकित्सकों को संबोधित करते हुए कहा कि कोविड के दौर में आम जनता की जान बचाने में ग्रामीण चिकित्सकों की भूमिका अहम रही है और ग्रामीण चिकित्सक समाज की सेवा निस्वार्थ भाव से कर रहे हैं। प्रधानमंत्री भी स्वास्थ सुविधाओं की बेहतरी के लिए हर जिले में मेडिकल कॉलेज और अस्पताल खोलने की योजना पर काम कर रहे हैं। भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री एवं बिहार भाजपा प्रवक्ता डॉ० निखिल आनंद ने कहा की ग्रामीण चिकित्सकों के सहयोग और सेवा लिए बिना बिहार के स्वास्थ्य क्षेत्र का कायाकल्प किया ही नहीं जा सकता है।
निखिल ने कहा कि प्रशिक्षित ग्रामीण चिकित्सकों को स्वास्थ्य मित्र या चिकित्सा मित्र के तौर पर पीएचसी और एडिशनल पीएचसी सहित विभिन्न सरकारी अस्पतालों से भी जोड़ने की योजना पर सरकार को काम करना चाहिए। सभा की अध्यक्षता ग्रामीण चिकित्सक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अंशु तिवारी ने करते हुए कहा कि बिहार भर में लगभग 5 लाख ग्रामीण चिकित्सक है। बिहार सरकार शिक्षामित्र और न्यायमित्र की संकल्पना तो तैयार करती है लेकिन स्वास्थ्य मित्र या चिकित्सा मित्र की संकल्पना नहीं तैयार करती है जिनका बिहार के ग्रामीण स्वास्थ्य क्षेत्र में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान है।
भारतीय ग्रामीण चिकित्सक संघ एवं बिहार ग्रामीण चिकित्सक संघ की प्रमुख मांगों में बिहार के 21000 प्रशिक्षित ग्रामीण चिकित्सकों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा रजिस्ट्रेशन करने, प्रशिक्षित ग्रामीण चिकित्सकों को मेडिकल प्रैक्टिशनर्स प्रोटेक्शन एक्ट के तहत सुरक्षा प्रदान करने, बिहार के सभी प्रशिक्षित ग्रामीण चिकित्सकों को प्रधानमंत्री स्वास्थ्य योजना के तहत 500000 का स्वास्थ्य बीमा देने, प्रशिक्षित 21000 ग्रामीण चिकित्सकों को स्वास्थ्य मित्र का दर्जा देकर स्वास्थ्य विभाग में सेवा का अवसर देकर, खासकर पीएचसी और एडिशनल पीएचसी से जोड़ने, बिहार के 30,000 ग्रामीण चिकित्सकों को प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय में ₹30 करोड़ रुपए फॉर्म भरने के बाद से 2018 से ही जमा है। राज्य स्वास्थ्य समिति एवं राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय द्वारा अभी तक प्रशिक्षण प्रारंभ नहीं हुआ। प्रशिक्षण अविलंब प्रारंभ कराने और क्लीनिकल एस्टेटमेंट बिल से प्रशिक्षित ग्रामीण चिकित्सकों को अलग रखना शामिल है।