पटना हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका में तथ्यों को छुपाने और जनहित याचिका का दुरूपयोग करने के मामलें में याचिकाकर्ता दस हजार रूपए का आर्थिक दंड लगाया. चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ ने मिर्जा जलालुद्दीन बेग की जनहित को ख़ारिज करते हुए ये आर्थिक दंड लगाया.जनहित याचिका में ये मांग की गयी थी कि सार्वजनिक भूमि पर से अतिक्रमण हटाया जाये.ये भूमि जमुई जिला के सिकंदरा अंचल में स्थित था.
याचिकाकर्ता का कहना था कि ये भूमि सिकंदरा में राजस्व अंचल कार्यालय के निर्माण के लिए था.ये रेवेनुए कलेक्टर के रिकार्ड में ऐसा ही दर्ज है.इस मामलें में राज्य सरकार ने जो जवाब दायर किया,उसमें ये पाया गया कि जिन्हे अतिक्रमणकारी बताया गया,वे भूमि के टाइटल होल्डर है.याचिकाकर्ता के पिता ने भी कथित अतिक्रमणकारी के विरुद्ध टाइटल सूट लड़ा था.
याचिकाकर्ता ने अपने जनहित याचिका में ये तथ्य नहीं बताया था.कोर्ट ने इसे काफी गंभीरता से लेते हुए कहा कि ये आधा अधूरा सच कोर्ट के सामने रखा गया,जो जनहित याचिका फोरम का दुरूपयोग है.कोर्ट ने याचिकाकर्ता को आर्थिक दंड की धनराशि एक महीने के भीतर बिहार स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी में जमा करने का आदेश दिया.