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नीतीश की राह मुश्किल करने में जुटे चिराग पासवान ! लोकसभा चुनाव में फिर करेंगे विधानसभा चुनाव 2020 वाला खेला, सबकुछ सेट

नीतीश की राह मुश्किल करने में जुटे चिराग पासवान ! लोकसभा चुनाव में फिर करेंगे विधानसभा चुनाव 2020 वाला खेला, सबकुछ सेट

पटना. नीतीश कुमार ने 28 जनवरी 2024 को एनडीए के समर्थन से बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो कई तरह के राजनीतिक बदलाव देखने को मिले. सबसे बड़ा बदलाव लोजपा (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान में देखने को मिला जब उन्होंने नीतीश कुमार का पांव छूकर आशीर्वाद लिया. नीतीश के शपथ ग्रहण के कुछ घंटे पहले तक चिराग काफी आक्रामक थे, कई तरह की बातें कर रहे थे. लेकिन शपथ ग्रहण में उनका नीतीश कुमार से आशीर्वाद लेना सबको हतप्रभ कर गया. ऐसे यह बातें भी होने लगी कि क्या अब चिराग पासवान भी नीतीश कुमार के साथ मिलकर सियासत करेंगे. 

चिराग को लेकर चल रही कयासबाजियों के बीच उन्होंने एक बार फिर से बड़ा खेला कर दिया है. यानी सीएम नीतीश की चिंताओं को बढ़ाने वाला पासा फेंक दिया है. यह कुछ वैसा ही संकेत है जैसे विधानसभा चुनाव 2020 में उन्होंने जदयू के खिलाफ किया था. जदयू के सभी उम्मीदवारों के खिलाफ लोजपा ने प्रत्याशी उतारा था. अब कुछ वैसी ही तैयारी लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर दिख रही है. इसमें भी चिराग ने संकेत दे दिया है कि वे एनडीए से अलग हो सकते हैं. साथ ही फिर से नीतीश कुमार की जदयू के लिए टेंशन बन सकते हैं. इतना ही नहीं चिराग ने इस पर चाचा पशुपति पारस को भी मुश्किल में डालने की योजना बना ली है. 

11 लोकसभा प्रभारी : लोजपा (रामविलास) ने बिहार में 11 लोकसभा सीटों के लिए पार्टी प्रभारियों के नाम घोषित किए हैं. इसमें हाजीपुर से अरविंद कुमार सिंह, जमुई से अमरनाथ सिंह, खगड़िया से सुरेश भगत, समस्तीपुर से मिथलेश निषाद, वैशाली से राकेश कुमार सिंह, नवादा से अभय कुमार सिंह, गोपालगंज से परशुराम पासवान, सीतामढ़ी से शाहनवाज अहमद कैफी, वाल्मीकि नगर से सुरेंद्र विवेक, जहानाबाद से रामाश्रय शर्मा और बेगुसराय से इंदु कश्यप प्रभारी हैं.  इन सीटों पर गौर करें तो जमुई से चिराग पासवान सांसद हैं. वहीं हाजीपुर से उनके चाचा पशुपति कुमार पारस सांसद हैं जबकि एलजेपी (पशुपति गुट) के चंदन सिंह नवादा, खगड़िया से महबूब अली कैसर, वैशाली से वीना देवी, समस्तीपुर से प्रिंस राज सांसद हैं. यानी जिन लोकसभा सीटों पर वर्ष 2019 में लोजपा ने जीत हासिल की थी उन सीटों को छोड़ने के मूड में चिराग पासवान नहीं दिख रहे हैं. साथ ही गोपालगंज से जदयू के अलोक कुमार सुमन, सीतामढ़ी से जदयू के सुनील कुमार पिंटू, वाल्मीकिनगर से जदयू के बैद्यनाथ प्रसाद महतो, जहानाबाद से जदयू के चंद्रेश्वर प्रसाद हैं. वहीं बेगूसराय से भाजपा के गिरिराज सिंह सांसद हैं. 

जदयू - पशुपति की टेंशन : चिराग ने जिन 11 सीटों पर प्रभारी बनाए हैं उसमें 5 लोजपा (पशुपति गुट), 4 जदयू और 1 भाजपा के खाते में है. वहीं एक सीट पर खुद चिराग सांसद हैं. लोकसभा चुनाव के पहले इन सीटों पर प्रभारी नियुक्त करना चिराग की उस रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है जिससे वे इन सीटों पर लोजपा (रामविलास) के उम्मीदवार उतार सकते हैं. अगर एनडीए के साथ सीट शेयरिंग का फॉर्मूला चिराग का फिट नहीं होता है तो वे इन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकते हैं. देखा जाए तो इससे जदयू और पशुपति गुट की लोजपा के कब्जे वाली लोकसभा सीटों पर चिराग उन्हें सीधी चुनौती दे सकते हैं. यह कुछ वैसा ही होगा जैसे 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में हुआ था.

नीतीश की राह होगी मुश्किल : जदयू को विधानसभा चुनाव 2020 में 43 सीटों पर सफलता मिली थी. माना गया कि इसका बड़ा कारण लोजपा रही जिसने उन सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारे जहाँ से जदयू चुनाव लड़ रही थी. इस बार भी जो तैयारी दिख रही है उसमें चिराग ने जदयू और पशुपति पारस के कब्जे वाली सीटों पर चुनाव लड़ने का संकेत दे दिया है. हालांकि पिछले दिनों उन्होंने भाजपा पर भरोसा जताते एनडीए में बने रहने की बात कही थी. लेकिन अगर 2020 की तरह ही बात नहीं बनी तो संभव है चिराग अलग होकर लोजपा (रा) को मैदान में उतारें. इससे अगर चिराग की पार्टी के उम्मीदवार जीतते हैं तो उनकी बड़ी सफलता होगी. अगर नहीं जीतते हैं तो जदयू और पशुपति पारस की चिंता बढ़ सकती है. ऐसे में चिराग फिर से बड़े गेम चेंजर साबित हो सकते हैं. 

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