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सीएम नीतीश के हरियाली को न जल मिला, न जीवन, एक साल में ही बर्बाद हो गयी पूरी योजना

सीएम नीतीश के हरियाली को न जल मिला, न जीवन, एक साल में ही बर्बाद हो गयी पूरी योजना

कटिहार। एक साल पहले बिहार के कई जिले के साथ-साथ कटिहार में मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट जल,जीवन,हरियाली के तहत रौतारा चमरू पोखर को विकसित किया गया था लेकिन अब 7 जनवरी 2020 मुख्यमंत्री के कटिहार आगमन का अब एक साल से अधिक समय बीत चुका है और अब चमरू पोखर का यह इलाका अपने हालात पर आंसू बहाने को विवश है। यहां हरियाली के नाम पर सूखे पत्ते और कुछ पौधों की टूटी डालियां मिलती है। सरकारी उदासिनता के कारण चमरू पोखर का पूरा इलाका विरान होने की स्थिति में आ चुका है।

निजी जमीन पर बनाया पार्क, नहीं मिला मुआवजा

जिस जमीन पर प्रशासन ने वाहवाही लूटने के लिए पार्क बनाया वह सजीदा खातून नाम की महिला की निजी जमीन थी। वह बताती हैं कि पिछले साल वह अपनी जमीन पर गेहूं लगाने की तैयारी कर रही थी, इसी दौरान कुछ अधिकारी आए और बीज लगाने के लिए मना कर दिया। अधिकारियों ने कहा मुख्यमंत्री जी आनेवाले हैं, तुम्हारी जमीन पर पार्क बनेगा. जिसके लिए मुआवजा भी मिलेगा। लेकिन आज तक कोई पैसा नहीं मिला। यहां तक कि जमीन पर लगाए गए पौधों के पटवन के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई। वह खुद बाल्टी से पानी कई दिनों तक पानी देती रही, लेकिन यह कोशिश सफल नहीं हो सकी। आज यह जमीन न तो खेती के उपयोगी रहा और न ही यहां हरियाली का कोई लक्ष्ण नजर आता है।

सीएम के जाने के बाद सारा सामान ले गए अधिकारी

यहां गार्ड के रुप में काम करने वाले शेख सोबराती बताते हैं कि पिछले साल जब सीएम यहां पहुंचे तो बड़ी खुशी हुई। यहां नई नई सुविधाएं उपलब्ध कराई गई, लेकिन सीएम जैसे ही लौटे उसके कुछ समय बाद ही सारे सामान अधिकारी लेकर चले गए। यहां की ज्यादातर चीजें हटाई जा चुकी हैं।

डिप्टी सीएम से जगी है उम्मीदें

 यहां बने पार्क में लगे ताले को देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट को किस तरह अधिकारियों के उदासीन रवैये ने बेजार कर दिया है।  बड़ी बात यह है कि कटिहार उपमुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद का गृह जिला है ऐसे में मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट जल,जीवन, हरियाली को लेकर प्रशासन के इस तरह की उदासी और आगे इस इलाके को विकसित करने को लेकर लोग अफसोस के साथ आगे इस इलाके को विकसित करने को लेकर अपनी राय रख रहे हैं, लोगों ने कहा कि पूरा इलाका महज एक साल पहले पूरे कायाकल्प के साथ हरियाली का नायाब संदेश दे रहा था मगर हरियाली से गुलजार यह इलाका प्रशासनिक उदासीनता के कारण अब पूरी तरह चौपट होने लगी है। इसमें कुछ लोग हैं अपना राय देते हुए यह भी कहते हैं कि सरकार अगर किसी निजी संस्था को भी इसकी रखरखाव का जिम्मेदारी दे देता तो यह इलाका पूरे जिले के लिए एक बेहतर मनोरंजन पार्क के रूप में  सरकार को अच्छे राजस्व के साथ लोगों को बेहतर मनोरंजन स्थल का सुविधा मुहैया करवा सकता है।



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