गया. जिस इलाके में किसी दौर में नक्सलियों की तूती बोलती थी वहां की सूरत और सीरत अब बदल चुकी है. जहां दिन के उजाले में परिंदा भी पर मारने की हिमाकत ना कर सके, वहां जाकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नया इतिहास रच दिया. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नक्सलियों की राजधानी कहे जाने वाले गया जिला के बियावान इलाकों में रोजगार और स्वावलंबन की गाथा की पटकथा लिखने पहुंचे
गया जिला का लाल जोन कहा जाने वाला इमामगंज, बांके बाजार, चक्र बंदा, लुटुआ जैसे इलाकों में किसी दौर में नक्सली आतंक चरम पर था. यहां दिन के उजाले में कोई भी जाने की हिम्मत नहीं करता था. आज वहां नीतीश कुमार विकास और स्वावलंबन की कहानी लिख रहे हैं। इस इलाके के रहने वाले लोग उग्रवाद और हिंसा का मार्ग छोड़कर नक्सलियों के परिवार बिहार के विकास में सहयोग कर रहे हैं। कल तक जो नक्सली , सरकार की योजनाओं की धज्जियां उड़ाते थे. विद्यालय , समुदायिक भवन और सरकारी भवनों को अपने रास्ता का रोड़ा समझते थे। उन्हीं नक्सलियों के परिजन अब मुख्यधारा से जुड़ कर बिहार की विकास की गाथा लिख रहे हैं।
नक्सलियों के तथाकथित परिजन कहीं लेमन ग्रास की खेती कर अपनी आर्थिक स्थिति सुधार हैं तो कहीं इस इलाके में जलवायु के मुताबिक पैदा होने वाले कृषि कार्य कर अपनी आर्थिक संपन्नता सुदृढ़ कर रहे हैं। इसी कड़ी में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समाधान यात्रा के दौरान शनिवार को अपने काफिले के साथ गया जिला के बांके बाजार के बेला गांव पहुंचे.
यहां बंजर भूमि पर लेमन ग्रास की खेती का निरीक्षण किया. उन्होंने जीविका दीदियों के उत्पादों का निरिक्षण किया. उनके कार्य की सराहना की. साथ ही इस इलाके में परिवर्तन की जो बयार देखने को मिली है उसकी प्रशंसा की. नीतीश कुमार बोधगया के सांस्कृतिक केंद्र में गया जिला सहित आसपास के इलाकों में हो रहे सरकारी योजनाओं का निरीक्षण भी कर रहे हैं।