पटना. बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद एनडीए और महागठबंधन के बीच एक और बड़ा मुकाबला राज्य सभा चुनाव को लेकर होना है. बिहार से रिक्त हो रही राज्य सभा की 6 सीटों पर चुनाव होना है. बिहार विधानसभा में विधायकों की स्थिति को देखें तो संख्या बल के हिसाब से एनडीए के पास 3 और महागठबंधन के खाते में 3 राज्यसभा की सीटें जाते दिख रही हैं. हालांकि राजद नीत महागठबंधन के विधायकों की संख्या ऐसी है कि अगर किसी ने पाला बदला तो उन्हें बड़ा झटका लग जाएगा. यह तेजस्वी यादव को फिर से खेला में उलझाने वाला मामला बन सकता है. इसमें उन्हें जीती हुई सीट खोनी पड़ सकती है. वहीं इस बार राज्यसभा जाने वाले नामों में कई नाम काफी चौंकाने वाले माने जा रहे हैं. इसमें भाजपा ने पहले ही अपने दो उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर सुशील कुमार मोदी को बड़ा झटका दे दिया है. अब जदयू भी कुछ उसी रास्ते पर है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक खास नेता अब दिल्ली में उनके लिए मोर्चाबंदी करेंगे.
दरअसल, जदयू की तरफ संजय झा का राज्यसभा जाना तय माना जा रहा है. संजय झा पिछले वर्षों के दौरान सीएम नीतीश के सबसे नजदीकी नेताओं में गिने जाने लगे हैं. वे लगातार नीतीश कुमार के साथ विभिन्न अवसरों पर साथ रहते हैं. अब बदली राजनीतिक परिस्थिति में नीतीश कुमार ने जब फिर से एनडीए संग जदयू के जाने का निर्णय लिया तो इसमें भीतरखाने संजय झा की बड़ी भूमिका मानी गई. अब संजय झा को भाजपा और अन्य एनडीए के घटक दलों के साथ बेहतर सामंजस्य स्थापित करने के लिए उन्हें दिल्ली में जदयू की बागडोर संभालने भेजा जाएगा.
भाजपा से जदयू में आए : संजय झा मूल रूप से मधुबनी जिले के झंझारपुर ब्लॉक के अरड़िया के रहने वाले हैं. JNU से एमए करने वाले संजय कुमार झा का अपना पब्लिकेशन का बिजनेस है. भाजपा से अपनी राजनीति शुरू करने वाले संजय झा बाद में नीतीश कुमार के नजदीकी हो गए. 2012 में नीतीश कुमार ने संजय कुमार झा को जेडीयू जॉइन कराया. 2014 में संजय कुमार झा ने जेडीयू के उम्मीदवार के तौर पर दरभंगा लोकसभा सीट से चुनाव भी लड़ा था मगर तब वो चुनाव हार गए थे. हालांकि बाद में नीतीश ने उन्हें बिहार विधान परिषद भेज दिया. ऐसे में शुरू में ही भाजपा की पृष्ठभूमि के रहे संजय झा अब राज्य सभा जाकर वहां भी नीतीश कुमार के लिए भाजपा संग बेहतर रिश्तों को और ज्यादा प्रगाढ़ बना सकते हैं.
भाजपा ने सुशील मोदी का काटा पत्ता : एनडीए को जिन तीन सीटों के मिले की संभावना है उसमें बीजेपी से भीम सिंह और धर्मशिला गुप्ता को पहले ही उम्मीदवार बनाया जा चुका है. भीम सिंह अतिपिछड़ा चंद्रवंशी समुदाय से आते हैं. वे प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष के पद पर हैं. डॉ धर्मशीला गुप्ता पिछड़ा वर्ग वैश्य समुदाय से आती हैं. भाजपा के नेता सुशील मोदी भी इसी समुदाय से हैं. धर्मशीला को भाजपा ने राज्यसभा का टिकट दिया है. ये दरभंगा की रहने वाली हैं और वार्ड काउंसलर रही हैं. धर्मशीला प्रदेश महिला मोर्चा की जिम्मेवारी संभाल रहीं है. एनडीए के तीनों उम्मीदवार 14 फरवरी को नामांकन पत्र भरेंगे.
राजद में असमंजस : वहीं कांग्रेस से अखिलेश प्रसाद सिंह का भी एकबार फिर राज्यसभा जाना तय है। अखिलेश सिंह ने सोमवार को ही विधानसभा से नामांकन के लिए आवश्यक दस्तावेज ले लिए हैं. लेकिन राजद से उम्मीदवारों की घोषणा होनी है. राजद के विधायकों की संख्या के हिसाब से उनके दो उम्मीदवारों का राज्य सभा जाना तय है. राजद सुप्रीमो लालू यादव के करीबी मनोज झा और अफाक अहमद की सीटें खाली हो रही हैं. पार्टी ने अभी तक उम्मीदवारों के नाम की घोषणा नहीं की. माना जा रहा है कि मनोज झा का जाना है.
खेला होने का डर : राजद के लिए असली चिंता यहीं फंसी है. 12 फरवरी को नीतीश सरकार के विधानसभा में बहुमत साबित करने के दौरान राजद के 3 विधायक बागी हो गए. इससे तेजस्वी यादव का नीतीश संग खेला करने का दावा उनके संग ही खेला हो गया. अब राज्य सभा चुनाव में भी माना जा रहा है कि राजद संग फिर से खेला करने का खेल सत्ता पक्ष कर सकता है. पहले ही राजद और कांग्रेस के विधायकों को लेकर कहा गया था कि वे टूट सकते हैं. अब राज्यसभा चुनाव में अगर सत्ता पक्ष राजद खेमे को और कमजोर करने की रणनीति बनाता है तो उसमें फिर से विधायकों के टूट-फूट का खेल दिख सकता है. बहुमत साबित करने के पूर्व तक राजद के 79, कांग्रेस के 19 और वाम दलों के 16 विधायक थे. लेकिन इसमें तीन विधायक टूट चुके हैं. अगर कुछ और विधायक इधर-उधर होते हैं तो यह राजद खेमे को बड़ा झटका होगा. एक सीट जीतने के लिए 37 विधायकों की जरूरत होती है. ऐसे में राजद के 79 में 3 एमएलए टूटने से उनकी संख्या अब 76 हो चुकी है. राजद के दो सीट जीतने के लिए 74 विधायकों का वोट पड़ेगा. कांग्रेस के 19, वाम दलों के 16 और राजद के 74 वोटों के बाद 2 विधायकों का वोट बचने से कुल शेष वोटों की संख्या 37 होती है. यही राजद और कांग्रेस खेमे की चिंता है. अगर कुछ और विधायकों ने पाला बदला तो तीसरा सीट जीतने का सपना पूरा नहीं हो पायेगा. इससे तेजस्वी यादव संग फिर से बड़ा खेला हो जाएगा.