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बिहार में विद्युत् वितरण कंपनियों के लगातार मुनाफे से उपभोक्ताओं को मिली राहत, बिजली दर में प्रति यूनिट 15 पैसे की हुई कटौती

बिहार में विद्युत् वितरण कंपनियों के लगातार मुनाफे से उपभोक्ताओं को मिली राहत, बिजली दर में प्रति यूनिट 15 पैसे की हुई कटौती

PATNA : बिहार में बिजली बिल का भुगतान करनेवाले उपभोक्ताओं की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। बिजली कम्पनियों की ओर से बताया गया है की पहले जहाँ 50 प्रतिशत से भी कम उपभोक्ताओं से भुगतान प्राप्त किया जाता था, उसमें गुणात्मक वृद्धि कर वितरण कम्पनियों ने इस वर्ष 85 प्रतिशत से अधिक उपभोक्ताओं से कम से कम एक बार बिल का भुगतान प्राप्त किया है। यही वजह है की पिछले साल वितरण कंपनियों को जहाँ 215 करोड़ का लाभ हुआ था। वहीँ इस साल 1852 करोड़ का मुनाफा हुआ है। इस दक्षता वृद्धि की बदौलत ही राज्य के उपभोक्ताओं को पिछले कई वर्षों से बिना किसी अतिरिक्त वित्तीय भार के निरंतर सेवा प्रदान करने में वितरण कम्पनियां सफल रही हैं। इसी कारण अगले वित्तीय वर्ष 2024-25 में सभी उपभोक्ताओं को विद्युत दर में 15 पैसे प्रति यूनिट की कमी का लाभ भी प्राप्त होगा।

वहीँ राज्य की दोनों वितरण कम्पनियों ने राजस्व वसूली में विगत 3 वर्षों के प्रदर्शन में लगातार सुधार करते हुए वर्तमान वित्तीय वर्ष 2023-24 में भी राजस्व की रिकार्ड वसूली की है। गत वर्ष की राजस्व वसूली से 14 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी करते हुए 1852 करोड़ रूपये की अधिक वसूली के साथ कुल 15107 करोड़ रूपये की वसूली की गई है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019-20 में वितरण कम्पनियों द्वारा मात्र 8598 करोड़ रूपये का राजस्व संग्रहण किया था। जिससे लगभग पौने दो गुना (76 प्रतिशत) अधिक राजस्व का संग्रहण करते हुए 15107 करोड़ रूपये की कुल वसूली दर्ज की गई है। विगत 4 वर्षों के राजस्व संग्रहण की वृद्धि का आंकड़ा देखें तो औसतन प्रत्येक वर्ष लगभग 14.3 प्रतिशत की दर से राजस्व संग्रहण में लगातार वृद्धि हो रही है। इस अवधि में उपभोक्ताओं को 6.9 प्रतिशत औसतन वृद्धि दर के साथ बिजली की आपूर्ति की गई है। 

वितरण कम्पनियों द्वारा निरंतर सुधारों एवं कार्यों में दक्षता लाने के कारण ए०टी० एण्ड सी० लॉस जो वर्ष 2019-20 में 35.12 प्रतिशत था वह घटकर अब वर्ष 2023-24 में 21.74 प्रतिशत मात्र रह गया है। वितरण कम्पनियों के कार्यों को आंकने के लिए बिलिंग एवं कलेक्शन एफिसिएंसी देखा जाता है। बिलिंग एफिसिएंसी 2019-20 में 75.41 प्रतिशत थी जो बढ़कर 83.11 प्रतिशत हो गई है तथा कलेक्शन एफिसिएंसी 86 प्रतिशत से बढ़कर 94.17 प्रतिशत हो गई है। 

रेगुलेटरी कमीशन द्वारा निर्धारित ऊर्जा शुल्क में मुख्यमंत्री विद्युत उपभोक्ता सहायता योजना के माध्यम से राज्य सरकार द्वारा उपभोक्ताओं को अनुदान दिया जाता है जिसके कारण राज्य के उपभोक्ताओं को सस्ते दर पर विद्युत की आपूर्ति की जाती है। वितरण कम्पनियों द्वारा अपनी आय का स्त्रोत बढ़ाने के लिए विगत तीन वर्षों से पावर एक्सचेंज के माध्यम से बिजली की बिक्री करने की पहल भी की है जिससे इस वर्ष लगभग 2267 करोड़ रूपये की आय हुई है। वितरण कम्पनियों के राजस्व संग्रहण में नियुक्त सभी कर्मियों के केन्द्रीयकृत अनुश्रवण के लिए "समीक्षा एप्प" बनायी है जिसके इस्तेमाल से न केवल वैज्ञानिक तरीके से जमीनी लक्ष्य निर्धारण करने में मदद मिली है बल्कि राजस्व संग्रहण में भी कई त्रुटियों का पता कर उन्हें दूर करते हुए लगातार राजस्व संग्रहण में बेहतर प्रदर्शन किया जा रहा है। 

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