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साइबर अपराधियों ने एसपी को भी नही बख्शा, इस तरह उनके नाम पर हो रही है वसूली, एक व्यक्ति ने गंवा दिए अपने रुपए

साइबर अपराधियों ने एसपी को भी नही बख्शा, इस तरह उनके नाम पर हो रही है वसूली, एक व्यक्ति ने गंवा दिए अपने रुपए

AURANGABAD : - साइबर अपराधियों के हौसले इस कदर बुलंद है कि वे खाकी और खादी को भी नही बख्श रहे है। ऐसे ही एक मामले में साइबर ठगो ने औरंगाबाद के पुलिस कप्तान कांतेश कुमार मिश्रा को भी सीधे निशाने पर लिया। एसपी का फेक फेसबुक और व्हाट्सएप अकाउंट बनाया तथा ठगी का गोरखधंधा शुरू किया। साइबर ठगो के जाल में औरंगाबाद का भी एक बंदा फंस गया और उसने ठगो को 20 हजार की रकम भी दे डाली। बाद में मामला पुलिस और खुद एसपी के संज्ञान में आया। 

मामले में 28 सितम्बर को औरंगाबाद के नगर थाना में पुलिस अवर निरीक्षक गुफरान अली के टंकित आवेदन के आधार पर भादवि की  धारा 66, 66(सी), 66(डी) एवं आईटी एक्ट के तहत कांड संख्या- 420/21 दर्ज हुआ। अज्ञात साइबर ठगो को आरोपी बनाया गया। मामले का अनुसंधान शुरु हुआ और आखिरकार मामले में संलिप्त उतर प्रदेश के मथुरा का एक साइबर ठग गिरफ्तार हुआ। पूरे मामले की जानकारी देते हुए पुलिस अधीक्षक कांतेश कुमार मिश्रा ने बताया कि औरंगाबाद के एसपी के नाम पर फेक फेसबुक एवं व्हाट्सएप अकाउंट बनाकर अज्ञात साइबर ठग द्वारा 20 हजार की ठगी का अनुसंधान एवं अज्ञात साईबर अपराधी की गिरफ्तारी हेतु अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी गौतम शरण ओमी के नेतृत्व में पुलिस निरीक्षक कांड के अनुसंधानकर्ता सतीश बिहारी शरण, मुफ्फसिल अंचल के पुलिस निरीक्षक अंजनी कुमार, दुर्गेश राम, मदनपुर थानाध्यक्ष संजय कुमार, जिला आसूचना इकाई के प्रभारी गुफरान अली एवं प्रणव कुमार के टास्क टीम के द्वारा कांड के अनुसंधान के क्रम में एक साइबर ठग को मथुरा से गिरफ्तार किया गया। 

यूपी का है ठग

गिरफ्तार ठग सोनु उर्फ सोनु कुमार उतर प्रदेश के मथुरा जिले के गोवर्धन थाना क्षेत्र के देवरस का निवासी है। गिरफ्तार सोनु ने साईबर अपराध को अपना पेशा बताते हुए पुलिस अधीक्षक, औरंगाबाद का फर्जी फेसबुक एवं व्हाट्सएप अकाउंणट बनाकर ठगी करने की बात को स्वीकार किया। उसके पास से तीन स्मार्ट मोबाईल फोन, पांच सिम कार्ड एवं एक आधार कार्ड बरामद किया गया। सभी सिम फर्जी नाम पते पर लिए गए है।    

यह पहला मामला नहीं

 प्रदेश में फेक फेसबुक और व्हाट्स अप एकाउंट के जरिए पैसे वसूलने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले डीजी, एडीजी रैंक के पुलिस अधिकारी और बिहार सरकार के मंत्री, सांसदों के नाम पर पैसे वसूलने की बात सामने आई है। ऐसे में बिना कंफर्म किए किसी के एकाउंट में पैसे भेजने से बचें।

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