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धनकुबेर अफसरों का सरकार को ठेंगा...कब होगी जांच ? RCD एग्जीक्यूटिव इंजीनियर की 'पत्नी थीं भूमिहीन..अचानक हो गई जमींदार, संपत्ति छुपाने वाली लिस्ट में कई नाम....

धनकुबेर अफसरों का सरकार को ठेंगा...कब होगी जांच ? RCD एग्जीक्यूटिव इंजीनियर की 'पत्नी थीं भूमिहीन..अचानक हो गई जमींदार, संपत्ति छुपाने वाली लिस्ट में कई नाम....

PATNA: बिहार में 2021-22 में भ्रष्ट अफसरों पर ताबड़तोड़ छापेमारी हुई है। रिश्वत के पैसे से अकूत संपत्ति अर्जित करने वाले धनकुबेर अधिकारियों पर जांच एजेंसी की विशेष नजर है। सरकार ने विशेष निगरानी इकाई, निगरानी ब्यूरो व आर्थिक अपराध इकाई को भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई की खुली छूट दे रखी है। पिछले दो सालों में 100 से अधिक धनकुबेर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है. वैसे जांच एजेंसी को ही नहीं, बल्कि विभाग को भी अपने अधिकारियों पर नजर रखने की जरूरत है। इंजीनियरिंग सेवा समेत कई अन्य मालदार विभाग में पदस्थापित दर्जनों ऐसे अधिकारी हैं जिन्होंने पत्नी के नाम पर अर्जित संपत्ति को छुपाये रखा है. अब छापा के डर से कुछ धनकुबेर धीरे-धीरे उसे सार्वजिनक कर रहे. 

जांच एजेंसी डाल-डाल तो धनकुबेर अधिकारी पात-पात  

छापे के डर से अब तक कुछ अधिकारी अपनी संपत्ति को छुपाने की कोशिश कर रहे थे. हाल के महीनों में सूबे की तीनों जांच एजेंसियों का नन स्टॉप छापेमारी जारी है. लिहाजा संपत्ति पर कुंडली मार बैठे अधिकारी छुपाई गई सपंत्ति की विवरणी चुपके से वार्षिक संपत्ति विवरणी में उल्लेख कर कार्रवाई से बचने की कोशिश कर रहे. विभाग स्तर पर इसकी समीक्षा हो तो कई धनकुबेर अधिकारी बेनकाब हो जायेंगे. लेकिन विभाग के स्तर से ऐसा नहीं हो रहा. धनकुबेर अधिकारियों को बचाने में कहीं न कहीं विभाग की भी मिलीभगत की बात सामने आती है। न्यूज4नेशन ने कई ऐसे अधिकारियों के बारे में खुलासा किया है जिन्होंने पत्नी के नाम की संपत्ति को छुपा लिया या फिर लगातार कई सालों तक संपत्ति छुपाये रखा,फिर छापा के डर से अचानक वार्षिक संपत्ति की विवरणी में चुपके से उल्लेख कर बचने की कोशिश की।

RCD कार्यपालक अभियंता ने 2021 तक छुपाए रखी पत्नी के नाम पर अर्जित संपत्ति 

पहले हम बात कर लेते हैं पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता शैलेश कुमार की। शैलेश कुमार कुछ समय पहले तक बिहार पुल निर्माण निगम पटना में प्रोजेक्ट इंजीनियर के पद पर पदस्थापित थे. अक्टूबर 2022 में इन्हें किशनगंज में पथ निर्माण विभाग का कार्यपालक अभियंता बनाकर भेजा गया है. इन्होंने 2020-21 में अपनी संपत्ति का जो ब्योरा दिया था उसमें पत्नी के नाम पर एक ईंच जमीन का उल्लेख नहीं किया था। स्पाउस (wife) की संपत्ति वाले खाने में NILL का उल्लेख किया था. वर्ष 2020-21 तक इंजीनियर साहब की पत्नी के नाम पर न तो कृषि योग्य भूमि थी और न ही गैर कृषि योग्य। यानी पत्नी बिल्कुल ही भूमिहीन थीं. लेकिन अगले साल इंजीनियर शैलेश कुमार की पत्नी जमींदार बन गईं. अचानक उनके नाम पर पांच बीघा से अधिक जमीन हो गया। खुद कार्यपालक अभियंता शैलेश कुमार ने 2021-22 में अपनी संपत्ति के ब्योरा में इसका उल्लेख किया है. 6 फरवरी 2022 को सरकार को दिये संपत्ति ब्योरा में पत्नी के नाम पर 306 डिसमिल कृषि योग्य और 18 डिसमिल गैर कृषि योग्य भूमि का उल्लेख किया है। जबकि 31 जनवरी 2021 को इंजीनियर ने अपनी संपत्ति का जो ब्योरा दिया था उसमें पत्नी के नाम पर एक डिसमिल जमीन का भी उल्लेख नहीं किया था। इसके पहले यानि 2019-20 के संपत्ति के ब्योरा में भी पत्नी के नाम जमीन का जिक्र नहीं किया है. 

2021 तक नहीं दी जानकारी, अचानक 2022 में किया सार्वजनिक 

आखिर एक साल में ही इंजीनियर के पास इतनी जमीन कहां से आ गई। इस पर हमने तहकीकात किया।  तब पता चला कि पत्नी के नाम पर जमीन तो पहले से ही है. लेकिन इंजीनियर साहब ने पत्नी के नाम पर खरीदी गई जमीन के बारे में सरकार को जानकारी नहीं दी थी। पत्नी के नाम पर बांका में 2016-19 में ही जमीन खरीदी गई. इसके अलावे पटना में भी। अब बड़ा सवाल यही है कि आखिर पथ निर्माण विभाग के इंजीनियर ने पत्नी के नाम पर अर्जित संपत्ति को इसके पहले तक छुपा क्यों रहे थे. खुलासे के बाद हमने किशनंगज में पदस्थापित पथ निर्माण के कार्यपालक अभियंता शैलेश कुमार से पूछा था। तब उन्होंने कहा था कि ऐसी बात नहीं है। मैं हर साल अपनी संपत्ति का ब्योरा सरकार को देता हूं. जब हमने पूछा कि पिछले साल तक तो आपने पत्नी के नाम वाली संपत्ति का उल्लेख तो नहीं किया था...अचानक पत्नी के नाम इतनी जमीन ? तब कार्यपालक अभियंता ने कहा कि कहीं कोई तकनीकी गड़बड़ी हुई होगी,इसी वजह से यह समस्या हुई होगी। खुलासे के बाद जिम्मेदारी विभाग की थी। पथ निर्माण विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सचिवालय स्तर पर इस मामले की जानकारी सबको है, लेकिन जांच की बात ही नहीं है। हालांकि जांच एजेंसी की नजर ऐसे अफसरों पर है जो पत्नी के नाम पर अर्जित संपत्ति छुपाये रखे हैं या फिर छापा के डर से अचानक से संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक किये हैं।

 मोतिहारी में पदस्थापित रहे कृषि विभाग के अफसर भी चालाक  

अब जरा कृषि विभाग के दूसरे अधिकारी के बारे में जान लें. वो अधिकारी कुछ महीने पहले तक मोतिहारी में जिला स्तरीय अधिकारी के तौर पर पदस्थापित थे। लेकिन सरकार ने पांच महीने पहले ही उन्हें वहां से हटा दिया। वर्तमान में वे कहां हैं पता नहीं। उनके बारे में और जान लें. वे रोहतास जिले के रहने वाले बताए जाते हैं. उन्होंने भी अपनी पत्नी के नाम पर जमीन की खरीद की है। जो कागजात मिले हैं उसके अनुसार, 2019 में कृषि विभाग के अधिकारी ने अपनी पत्नी के नाम पर करीब 19 डिसमिल जमीन की खरीद की है। कागजात में उस जमीन का मूल्य 240000 रू बताई गई है। 2021-22 में कृषि(उद्धान) के उस अधिकारी ने अपनी संपत्ति का जो ब्योरा दिया है उसमें इस संपत्ति का जिक्र नहीं किया है। कई अन्य संपत्ति भी अर्जित किये जाने की जानकारी लगी है। संपत्ति के ब्योरा में उस संपत्ति को क्यों छुपाया, यह वही बता सकते हैं. लेकिन पत्नी के नाम पर अर्जित संपत्ति को छुपाना अपराध है और उसे अवैध तरीक से अर्जित संपत्ति की श्रेणी में रखा जाता है. मोतिहारी में पदस्थापित रहे जल संसाधन विभाग के एक कार्यपालक अभियंता ने पत्नी को बिल्डर बनाकर काले धन को सफेद किया था. पत्नी के नाम पर कंपनी बनाई और उसे संपत्ति के ब्योरा में उल्लेख नहीं किया. 

SVU ने 2022 में 20 केस दर्ज किया

विशेष निगरानी इकाई ने 2 वर्षों में 23 केस दर्ज किए हैं. इनमें वर्ष 2021 में 6 तथा वर्ष 2022 में 17 कांड दर्ज हुए हैं. इनमें 20 केस तो आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने को लेकर हुई है. इसके अलावे तीन केस भ्रष्ट अधिकारियों को रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार होने के संबंध में दर्ज किया गया है. एसवीयू ने ट्रैप के तीनों केस का अनुसंधान पूरा कर चार्जशीट भी दाखिल कर दिया है। वहीं आय से अधिक संपत्ति के एक केस में भी आरोप पत्र समर्पित किया जा चुका है. इसके साथ ही एक केस का अनुसंधान अंतिम चरण में है. संभावना है कि जनवरी 2023 में आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के दूसरे केस में भी चार्जशीट दाखिल हो जाए.

कुलपति से लेकर आईएएस और आईपीएस अधिकारी तक लपेटे में

विशेष निगरानी इकाई की तरफ से बताया गया है कि आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान किया जा रहा है. विशेष निगरानी इकाई ने इन 2 सालों में कई वीआईपी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है. इसमें एक कुलपति, भारतीय पुलिस सेवा के 3 अधिकारी, भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक अधिकारी व इंजीनियिंरग सेवा के कई अधिकारी शामिल हैं. जिन वीआईपी लोगों के खिलाफ विशेष निगरानी इकाई ने केस दर्ज कर छापेमारी की उनमें मगध विवि के पुर्व कुलपति प्रो. राजेन्द्र प्रसाद भी शामिल हैं. इसके अलावे एसवीयू ने गया के पूर्व एसएसपी आदित्य कुमार, गया के पूर्व आईजी अमित लोढ़ा के खिलाफ भी केस दर्ज किया है। पूर्णिया के एसपी रहे दया शंकर के खिलाफ एसवीयू ने डीए केस दर्ज कर छापेमारी की थी. इसके अलावे गया के पूर्व डीएम अभिषेक सिंह के खिलाफ भी एसवीयू ने भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत केस दर्ज कर अनुसंधान कर रही है।

कार्यपालक अभियंता शैलेश कुमार का 2020- 21 में दिए गए संपत्ति का ब्योरा  

अचनाक 2021-22 में पत्नी के नाम 324 डिसमिल जमीन हो गया

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